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________________ [भगवई ५१० सुत्तागमे याए गइपरिणामेणं अकम्मस्स गई पन्नायइ । कहन्नं भंते ! बंधणछेयणयाए अकम्मस्स गई प० ?, गोयमा ! से जहानामए-कलसिवलियाइ वा मुग्गसिंवलियाइ वा माससिंबलियाइ वा सिबलिसिंबलियाइ वा एरंडमिंजियाइ वा उण्हे दिन्ना नुकासेमाणी फुडित्ता णं एगंतमंतं गच्छइ, एवं खलु गोयमा ! ० । कहन्नं भंते ! निरंधणयाए अकम्मस्स गई प० ?, गोयमा ! से जहानामए-धूमस्स इंधणविप्पमुक्कस्स उड़े वीससाए निव्वाघाएणं गई पवत्तइ, एवं खलु गोयमा ! ० । कहन्नं भंते ! पुव्वप्पओगेणं अकम्मस्स गई प० १, गोयमा ! से जहानामए कंडस्स कोदंडविप्पर मुक्कस्स लक्खाभिमुही निव्वाघाएणं गई पवत्तइ, एवं खलु गोयमा ! नीसंगयाए निरंगणयाए जाव पुव्वप्पओगेणं अकम्मस्स गई प० ॥ २६४ ॥ दुक्खी भंते ! दुक्खेणं फुडे अदुक्खी दुक्खेणं फुडे ?, गोयमा ! दुक्खी दुक्खेणं फुडे नो अदुक्खी दुक्खेणं फुडे । दुक्खी णं भंते ! नेरइए दुक्खेणं फुडे अदुक्खी नेरइए दुक्खेणं फुडे ?, गोयमा ! दुक्खी नेरइए दुक्खेगं फुडे नो अदुक्खी नेरइए दुक्खेणं फुडे, एवं दंडओ जाव वेमाणियाणं, एवं पंच दंडगा नेयव्वा-दुक्खी दुक्खेणं फुडे १ दुक्खी दुक्खं परियायइ २ दुक्खी दुक्खं उदीरेइ ३ दुक्खी दुक्खं वेदेइ ४ दुक्खी दुक्खं निजरेइ ५ ॥ २६५ ॥ अणगारस्स णं भंते ! अणाउत्तं गच्छमाणस्स वा चिट्ठमाणस्स वा निसीयमाणस्स (वा) तुयट्टमाणस्स वा अणाउत्तं वत्यं पडिग्गह कंवलं पायपुंछणं गेण्हमाणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा तस्स णं भंते । किं इरियावहिया किरिया कजइ ? संपराइया किरिया कजइ ?, गो० नो इरियावहिंया किरिया कजइ संपराइया किरिया कजइ । से केणटेणं० १, गोयमा ! जस्स णं कोहमाणमायालोमा वोच्छिन्ना भवंति तस्स णं इरियावहिया किरिया कजइ नो संपराइया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोहमाणमायालोमा अवोच्छिन्ना भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कजइ नो इरियावहिया, अहासुत्तं रीयमागस्स इरियावहिंया किरिया कज्जइ उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ, से णं उस्सुत्तमेव रियइ, से तेणटेणं० ॥ २६६ ॥ अह भंते ! सइंगालस्स सधूमस्स संजोयणादोसदुट्ठस्स पाणभोयणस्स के अटे पण्णत्ते?, गोयमा ! जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासुएसणिज असणपाण ४ पडिगाहित्ता मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने आहारं आहारेइ एस णं गोयमा ! सइंगाले पाणभोयणे,जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासुएसणिजं असणपाण ४ पडिगाहित्ता महया २ अप्पत्तियकोहकिलामं करेमाणे आहारमाहारेइ एस ण गोयमा ! सधूमे पाणभोयणे, जे णं निग्गथे वा २ जाव पडिगाहेत्ता गुणुपाप्यणहेउं अन्नदव्वेण सद्धिं संजोएत्ता आहारमाहारेइ एस णं गोयमा ! संजोयणा
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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