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________________ वि०प० स० ५ उ०७] सुत्तागमे एयइ णो देसे एयइ सिय देसे एयइ णो देसा एयंति सिय देसा एयति नो देसे एयइ सिय देसा एयंति नो देसा एयंति जहा चउप्पदेसिओ तहा पंचपदेसिओ तहा जाव अगंतपदेसिओ ॥ २१२ ॥ परमाणुपोग्गले गं भंते ! असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेजा ?, हंता! ओगाहेजा ! से णं भंते ! तत्थ छिज्जेज वा भिजेज वा?, गोयमा ! णो तिणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्यं कमइ, एवं जाव असंखेजपएसिओ। अणंतपदेसिए णं भंते ! खंधे असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेजा ?, हंता! ओगाहेज्जा, सेणं तत्थ छिजेज वा भिज्जेज वा ?, गोयमा! अत्थेगइए छिजेज वा भिजेज वा अत्थेगइए नो छिजेज वा नो भिजेज वा, एवं अगणिकायस्स मज्झमझेणं तहिं णवरं झियाएजा भाणियव्वं, एवं पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमज्झेणं तहिं उल्ले सिया, एवं गंगाए महाणईए पडिसोयं हव्वमा. गच्छेजा, तहिं विणिहायमावजेजा, उदगावत्तं वा उदगविंदु वा ओगाहेजा से णं तत्य परियावजेजा ॥ २१३ ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं सअड्डे समज्झे सपएसे ? उदाहु अणड्ढे अमज्झे अपएसे ?, गोयमा ! अणड्ढे अमज्झे अपएसे नो सअड्डे नो समझे नो सपएसे । दुपदेसिए णं भंते ! खंधे किं सअद्धे समज्झे सपदेसे उदाहु अगद्धे अमज्झे अपदेसे ?, गोयमा ! सअद्धे अमज्झे सपदेसे णो अणद्ध णो समझे णो अपदेसे । तिपदेसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! अणद्धे समज्झे सपदेसे नो सअद्धे णो अमज्झे णो अपदेसे, जहा दुपदेसिओ तहा जे समा ते भाणियव्वा, जे विसमा ते जहा तिपएसिओ तहा भाणियव्वा । संखेजपदेसिए णं भंते ! खंधे किं सअड्डे ६ ? पुच्छा, गोयमा ! सिय सअद्धे अमज्झे सपदेसे सिय अणड्ढे समज्झे सपदेसे जहा संखेजपदेसिओ तहा असंखेनपदेसिओऽवि अणंतपदेसिओऽवि ॥२१४॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! परमाणुपोग्गलं फुसमाणे किं देसेणं देसं फुसइ १ देसेणं देसे फुसइ २ देसेणं सव्वं फुसइ ३ देसेहिं देसं फुसइ ४ देसेहिं देसे फुसइ ५ देसेहिं सव्वं फुसइ ६ सव्वेणं देसं फुसइ ७ सव्वेणं देसे फुसइ ८ सव्वेणं सर्व फुसइ ९ ?, गोयमा ! णो देसेणं देसं फुसइ णो देसेणं देसे फुसइ णो देसेणं सव्वं फुसइ णो देसेहिं देसं फुसइ नो देसेहिं देसे फुसइ नो देसेहिं सव्वं फुसइ णो सम्वेणं, देसं फुसइ णो सव्वेणं देसे फुसइ सव्वेणं सव्वं फुसइ, एवं परमाणुपोग्गले दुपदेसियं फुसमाणे सत्तमणवमेहिं फुसइ, · परमाणुपोग्गले तिपएसियं फुसमाणे णिप्पच्छिमएहिं तिहिं फु०, जहा परमाणुपोग्गले तिपएसियं फुसाविओ एवं फुसावे. ग्रव्वो जाव अणतपएसिओ ॥ दुपएसिए णं भंते ! खंधे परमाणुपोग्गलं फुसमाणे पुच्छा, तइयनवमेहिं फुसइ, दुपदेसियं फुसमाणो पढमतइयसत्तमणवमेहिं फुसइ,
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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