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________________ सुत्तागमे [भगवई ४१४ भुंजमाणे आउयवजाओ सत्त कम्मपयडीओ धणियवंधणवढाओ सिडिलवंधणबद्धाओ पकरेइ जहा संवुडे णं नवरं आउयं च णं कम्मं सिय बंधइ सिय नो बंधइ, सेसं तहेव जाव वीईवयइ, से केणटेणं जाव वीईचयइ ?, गोयमा ! फामुएसणिजं भुंजमाणे समणे निग्गंथे आयाए धम्म नो अइक्कमइ, आयाए धम्म अणइकममाणे पुढविक्काइयं अवकंखति जाव तसकायं अवकंखइ, जेसिपि य णं जीवाणं सरीराइं आहारेइ तेऽवि जीवे अवकंखति से तेणटेणं जाव वीईवयइ ॥ ७८ ॥ से नूगं भंते ! अथिरे पलोइ नो थिरे पलोद्दति अथिरे भज्जइ नो यिरे भज्जइ सासए वालए वालियत्तं असासयं सासए पंडिए पंडियत्तं असासयं ?, हंता गोयमा! अथिरे पलोट्टइ जाव पंडियत्तं असासयं सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति ॥७९॥ पढमसए, नवमो उद्देसो समत्तो॥ अन्नउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव एवं परुति-एवं खलु चलमाणे अचलिए जाव निजरिजमाणे अणिज्जिण्णे, दो परमाणुपोग्गला एगयओ न साहगंति, कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगततो न साहणंति ?, दोहं परमाणुपोग्गलाणं नत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ न साहणंति, तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, कम्हा ? तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, तिण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ सा०, ते भिज्जमाणा दुहावि तिहावि कजति, दुहा कज्जमाणा एगयओ दिवड्डे परमाणुपोग्गले भवति एगयओवि दिवड्डे पर० पो० भवति, तिहा कजमाणा तिणि परमाणुपोग्गला भवंति, एवं जाव चत्तारि पंचपरमाणुपो० एगयओ साहणंति, एगयओ साहणित्ता दुक्खत्ताए कजंति, दुक्खेवि य णं से सासए सया समियं उवचिजइ य अवचिज्जइ य पुव्वि भासा भासा भासिज्जमाणी भासा अभासा भासासमयवीतिकंतं च णं भासिया भासा, जा सा पुट्विं भासा भासा भासिज्जमाणी भासा अभासा भासासमयवीतिनंतं च णं भासिया भासा सा किं भासओ भासा अभासओ भासा, अभासओ णं साभासा नो खलु सा भासओ भासा। पुचि किरिया दुक्खा कज्जमाणी किरिया अदुक्खा किरियासमयवीतिनंतं च णं कडा किरिया दुक्खा, जा सा पुग्वि किरिया दुक्खा कजमाणी किरिया अदुक्खा किरियासमयवीइक्वंतं च णं कडा किरिया दुक्खा सा कि करणओ दुक्खा अकरणओ दुक्खा ?, अकरणओ णं सा दुक्खा णो खलु सा करणओ दुक्खा, सेवं वत्तव्वं सिया-अकिच्चं दुक्खं अफुसं दुक्खं अकजमाणकडं दुक्खं अकट्ठ अकटु पाणभूयजीवसत्ता वेदणं वेदंतीति वत्तव्वं सिया ॥ से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जणं ते अण्णउत्थिया एवमातिक्खंति जाव वेदणं
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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