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________________ २५ श्राविका, सोमिल ब्राह्मण आदिके चरित्र भी है । ज्ञाताधर्मकथांगमें प्रथमश्रुतस्कंधमें १९ कथाएं उपनय सहित है। जो कि रोचक होनेके साथ २ बोधप्रद भी हैं, मेघकुमारकी यावत् कंडरीक-पुंडरीककी । दूसरे श्रुतस्कंधमें शिथिलाचार द्वारा होनेवाले दोपोंका दिग्दर्शन करानेवाली कथाएँ है । उपासकदशांगमें ज्ञातपुत्र महावीर भगवान् के १० मुख्य श्रावकोंका वर्णन है। उनमे भी आनंद और कामदेव का मुख्य स्थान है। अंतकृद्दशांगमें उन ९० महापुरुषोका चरित्र है जिन्होने कर्मोका निकंदन करके मोक्ष प्राप्त किया है । इसमे गजसुकुमाल, पद्मावती राणी, अर्जुन माली, अयवन्ताकुमारकी कथाएँ विशेष उल्लेखनीय है । अनुत्तरोपपातिकसूत्रमे अनुत्तरविमानमें उत्पन्न होनेवाले महापुरुषोंका वर्णन है। जिसमे महातपोधन धन्ना अणगार का वर्णन मुख्य है । प्रश्नव्याकरणमें आस्रवद्वारमें हिंसा असत्य-स्तेय-अब्रह्म और परिग्रह इन पांचोका स्वरूप समझाया है। इनके कर्ताओं और इनके फलका वर्णन भी है । संवरद्वार में अहिंसा-सत्य-अचौर्य-ब्रह्मचर्य-अपरिग्रह, उनका फल और साथ ही उनकी भावनाएँ वर्णित हैं। विपाकसूत्रके प्रथम श्रुतस्कंधमें १० जीवोका वर्णन है । जिन्होने असीम पाप करके महान् कष्ट उठाए, मृगापुत्रका यावत् अंजूका । दूसरे श्रुतस्कंधमें उन १० जीवोका वर्णन है जिन्होंने सुपात्र दान देकर सुख प्राप्त किया। सुवाह्रकुमारका यावत् वरदत्तकुमारका । इन ११ अंगोंमें धर्मकथानुयोग (प्रथमानुयोग ) गणितानुयोग, द्रव्यानुयोग और चरणकरणानुयोगके प्रायः सभी विषय वर्णित हैं। इनका अध्ययन-चिन्तनमनन करके अनेक भव्य आत्माओंने उत्तरोत्तर संसारका अन्त करके मुक्तिको पाया है। इनकी अधिक महत्ता बताना सूर्यको दीपक दिखानेके समान है। ये सुभाषितोके महाभंडार हैं। प्रस्तुत प्रकाशनकी विशेषता-(१) पाठशुद्धिका पूरा २ खयाल रक्खा गया है। (२) इसके संपादनमें शुद्ध प्रतियोका उपयोग किया है। (३) संक्षिप्त अर्धमागधी व्याकरण भी दिया गया है ताकि समझने में सरलता हो सके। (४) पाठान्तर नवीन पद्धतिसे दिए है। कार्यविवरण-इसका आरभ पूना चातुर्मासमें हुआ। वहां केवल आचा
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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