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________________ ० २४० १] सुत्तागमे वत्तिया चेव, लोहवत्तियां चेव, दोसवत्तिया किरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा- कोहे चेव माणे चेव ॥ ९२ ॥ दुविहा गरिहां पन्नत्ता, तंजहा - मणसावेगे गरिहइ वयसावेगे गरिes, अहवा गरिहां दुविहा प० दीहं एगे अद्धं गरिहइ, रहस्सं एगे अद्धं गरिहई ॥ ९३ ॥ दुविहे पंचक्खाणे, मणसावेगे पञ्चखाइ, वयसावेगे पच्चखाइ, अहवा पचक्खाणे दुविहे, दीहं एगे अद्धं पच्चक्खाइ, रहस्सं एगे अद्धं पञ्चक्खाइ ॥ ९४ ॥ दोहिं ठाणेहिं अणगारे संपन्ने अणाइयं अणवंदग्गं दीहमद्धं चाउरंत - संसारकंतारं वीइवएज्जा, तंजहा-विजाए चेव, चरणेण चेव ॥ ९५ ॥ दो ठाणाई अपरियाणित्ता आया णो केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए, तंजहा- आरंभे चेव परिग्गहे चेव, दो ठाणाई अपरिआणित्ता आया णो केवलं बोहिं वुज्झेजा तं० आरंभे चैव परिग्गहे चैव, दो ठाणाई अपरियाइत्ता आया णो केवलं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारिअं पव्वइजा, तंजहा- आरंभे चेव परिग्गहे चेव, एवं णो केवलं भचेरवासमावसेजा णो केवलेणं संजमेणं संजमेजा, णो केवलेगं संवरेणं संवरेज्जा, णो केवलं आभिणिवोहियणाणं उप्पाडेजा, एवं सुअणाणं, ओहिणाणं, मणपज्जवणाणं, केवलणाणं ॥ ९६ ॥ दो ठाणाई परियाइत्ता आया केवलीपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए, तंजहा- आरंभे चैव परिग्गहे चेव, एवं जाव केंवलणाणमुप्पाडेजा ॥ ९७ ॥ दोहिं ठाणेहिं आया केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए तंजहा सोच्चा चेव, अभिसमेच्चा चेव, जाव केवलणागं उप्पाडेजा ॥ ९८ ॥ दो समाओ पनत्ताओ, तंजा - उस्सप्पिणिसमा चैव; ओसप्पिणिसमा चैव ॥ ९९ ॥ दुविहे उम्मापन्नत्ते, तंजहा - जक्खावेसे चेव मोहणिजस्स चेवं कम्मस्स उदपणं, तत्थणं जे से जक्खावेसे से णं सुहवेयतराए चैव सुहविमोयतराए चेवं, तत्थण जे से मोहणिजस्स कम्मस्स उदएणं, से णं दुहवेयंतराए चेव दुहविमोयतराए चेव ॥१००॥ दो डी पत्ता, तंजहा - अट्ठादंडे चेव, अणद्वादंडे चेव, नेरइयाणं दो दंडा पन्नत्ता तंजहा - अट्ठादंडे चेव अगट्ठादंडे य एवं चंउवीसदंडओ जाव वेमाणियाणं ॥ १०१ ॥ दुविहे दंसणे 6 सम्मदंसणे चेव, मिच्छदिंसणे चेव, सम्मदंसणे दुविहे ० णिसग्गसम्मदसणे चेव, अभिगमसम्मदंसणे चेव, णिसग्गसम्मदंसणे दुविहे ०, पडिवाई चेव, अपेंडिवाई चेव, अभिगमसम्मदंसणे दुविहे०, पडिवाई चेव, अपडिवाई चेव, मिच्छादंसणे दुविहे ० तं जहा अभिग्गहियमिच्छादंसणे चेव, अणभिग्गहियमिच्छादसणे चैव, अभिरंगहियमिच्छादंसणे दुविहेः सपर्जवसिए चैव, अपजवसिए चैव, एवमणभिग्गहियमिच्छादंसणेवि ॥ १०२ ॥ दुविहे नाणे पञ्चक्खे चेव, परोंक्खे चेवं, पचक्खनाणे दुर्विहे० केवलनाणे चेव, नो केवलनाणे चेव, केवलनाणे दुविहे ० १८७
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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