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________________ सुत्तागमे [आयारे भयं परिजाणाइ से 'णिगंथे, णो भयभीरुए सिया; केवली वूया, भयप्पत्ते भीरू समावदेजा मोसं वयणाए, भयं परिजाणइ से णिग्गंथे, णो भयभीरुए सिय त्ति चउत्था भावणा ॥ १०३९ ॥ अहावरा पंचमा भावणा, हासं परिजाणइ से णिग्गंथे, णो य हासणए सिया, केवली वूया, हासप्पत्ते हासी समावदेजा मोसं वयणाए, हासं परिजाणइ से णिग्गंथे, णो य हासणए सिय त्ति पंचमा भावणा ॥ १०४० ॥ एतावता दोचे महव्वए सम्मं काएण फासिए जाव आणाए आराहिए या वि भवति ॥ दोचे भंते महत्वए०॥ १०४१॥ अहावरं तच्चं भंते ! महव्वयं पञ्चक्खामि सव्वं अदिण्णादाणं; से गामे वा, णगरे वा, अरण्णे वा, अप्पं वा, बहुं वा, अणुं वा, थूलं वा, चित्तमंतं वा, अचित्तमंतं वा, णेव सयं अदिण्णं गिण्हिज्जा, णेवण्णेहिं अदिण्णं गेण्हावेजा अण्णंपि अदिण्णं गिण्हतं न समणुजाणिना जावज्जीवाएं जाव वोसिरामि ॥ १०४२ ॥ तस्सिमाओ पंचभावणाओ भवंति तत्थिमा पढमा भावणा, अणुवीइ मिउग्गहं जाई से णिग्गंथे णो अणणुवीई मिउग्गहं जाई से णिग्गंथे केवली बूया अणणुवीईमिओग्गहं जाई से णिग्गंथे अदिण्णं गिण्हेजा अणुवीइमिउग्गहं जाई से णिग्गंथे णो अणणुवीइमिओग्गहंजाइ त्ति पढमा भावणा ॥ १०४३ ॥ अहावरा दोच्चा भावणा, अणुण्णवियपाणभोयणभोई से 'णिग्गंथे णो अणणुण्णवियपाणभोयणभोई, केवली वूया, अणणुण्णवियपाणभोयणभोई से णिग्गंथे अदिण्णं भुंजेजा, तम्हा अणुण्णवियपाणभोयणभोई से णिग्गंथे, णो अणणुण्णवियपाणभोयणभोइ त्ति दोचा भावणा ॥ १०४४ ॥ अहावरा तच्चा भावणा, णिग्गंथे णं उग्गहंसि उग्गहियंसि एतावताव उग्गहणसीलए सिया, केवली वूया, णिग्गंथेणं उग्गहंसि अणुग्गहियंसि एतावताव अणोरगहणसीले अदिण्णं गिण्हेजा णिग्गंथेणं उग्गहसि उग्गहियंसि एतावताव उग्गहणसीलए सियत्ति तच्चा भावणा ॥ १०४५॥ अहावरा चउत्था भावणा, णिग्गयेणं उग्गहंसि उरगहियंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलए सिया, केवली वूया, णिग्गंथेणं उग्गहंसि उग्गहियंसि अभिक्खणं २ अणोरगहणसीले अदिण्णं गिण्हेजा णिग्गंथे उग्गहसि उग्गहियंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलए सिय त्ति चउत्था भावणा ॥ १०४६ ॥ अहावरा पंचमा भावणा, अणुवीइमितोग्गहजाई से णिग्गंथे साहम्मिएसु णो अणणुवीइमिउग्गहजाई, केवली वूया, अणणुवीइमिउग्गहजाई से णिग्गंथे साहम्मिएसु अदिण्णं उगिण्हेज्जा, अणुवीइमिओग्गहजाई से णिग्गंथे साहम्मिएसु णो अणणुवीइमिओग्गहजाई इइ पंचमा भावणा,॥ १०४७ ॥ एतावताव तच्चे महन्वए सम्म जाव आणाए आराहिए यावि भवइ, तच्चं भंते महः
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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