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________________ व० ६ अ० ३] सुत्तागमे ११७७ पज्जयपिइपज्जयागए अणेगकुलपुरिसपरंपरागए मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे होत्था, तत्थ णं मोग्गरपाणिस्स पडिमा एगं महं पलसहस्सणियफण्णं अयोमयं मोग्गरं गहाय चिट्ठइ, तए णं से अज्जुणए मालागारे वालप्पभिई चेव मोग्गरपाणिजक्ख(स्स)भत्ते यावि होत्था, कल्लाकल्लि प(च्छि)त्थि(या)यपिडगाइं गेण्हइ २ त्ता रायगिहाओ न-यराओ पडिणिक्खमइ २ त्ता जेणेव पुप्फारामे तेणेव उवागच्छड् २ त्ता पुप्फुच्चयं करेइ २ ता अग्गाइं वराइं पुप्फाई गहाइ २ त्ता जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मो(मु)ग्गरपाणिस्स जक्खस्स महरिहं पुप्फचणयं करेइ २ त्ता जण्णुपाय(व)पडिए पणामं करेइ, तओ पच्छा रायमग्गंसि वित्तिं कप्पेमाणे ' विहरइ, तत्थ णं रायगिहे नयरे ललिया नामं गोट्ठी परिवसइ अड्डा[0] जाव अपरिभू(या)ता जंकयसुकया यावि होत्था, तए णं रायगिहे न-यरे अण्णया कयाइ पमो(ए)दे धुढे यावि होत्था, तए णं से अजणए मालागारे कलं पभूयत(राए)रेहिं पुप्फेहिं कज्जमितिकट्ठ पञ्चूसकालसमयंसि वंधु. मईए भारियाए सद्धि प-त्थियपिडयाई गेण्हइ २ त्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ २ त्ता रायगिहं न-गरं मझमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव पुप्फारामे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता बंधुमईए भारियाए सद्धिं पुप्फुच्चयं करेइ, तए ण तीसे ललियाए गोट्ठीए छ गोहिला पुरिसा जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागया अभिरममाणा चिट्ठति, तए णं से अजुणए मालागारे वंधुमईए भारियाए सद्धिं पुप्फुच्चयं करेड (०) अग्गाइं वराइं पुप्फाइं गहाय जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छइ, तए णं-छ गोहिला पुरिसा अजुणयं मालागारं वंधुमईए भारियाए सद्धिं एजमाणं पासंति २ त्ता अण्णमणं एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया! अजुणए मालागारे बंधुमईए भारियाए सद्धिं इहं हव्वमागच्छइ तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं अजुणयं मालागारं अव(उ)ओडयवंधणयं करेत्ता बंधुमईए भारियाए सद्धि विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणाणं विहरित्तए-त्तिकट्ठ एयमढं अण्णमग्णस्स पडिसुणेति २ त्ता कवाडंतरेसु 'निलुकंति निचला निफंदा तुसिणीया पच्छग्णा चिट्ठति, तए णं से अजणए मालागारे बंधुम (ईए)इभारियाए सद्धिं जेणेव मोग्गरपाणिजक्खाययणे तेणेव उवागच्छइ (0) आलोए पणामं करेइ (०) महरिहं पुप्फचणं करेइ (०) जण्णुपायपडिए पणामं करेइ, तए णं-छ गो(हे)हिला पुरिसा दवदवस्स कवाडंतरेहितो निग्गच्छति २ ता अजणयं मालागारं गेण्हति २ त्ता अवओड (ग)यवंधणं करेंति (0) वधुमईए मालागारीए सद्धिं वि-उलाई भोगभोगाई
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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