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________________ च० ५ ० २] सुत्तागमे ११७५ समाणी अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतिए मुंडा जाव पव्व०, अहासुहं ०, तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडंविए (पु०) सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव (भो दे०) पउमावईए (०) महत्थं निक्खमणाभिसेयं उवट्ठवेह २ त्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तए णं ते जाव पञ्चप्पिणंति, तए णं से कण्हे वासुदेवे पउमावइं देवि पट्टयं[सि] दु-रूहेइ (०) अट्ठसएणं सोवण्णकलस जाव महाणिक्खमणाभिसेएणं अभिसिंचइ २ त्ता सव्वालंकारविभूसियं करेइ २ ता पुरिससहस्सवाहिणि सि(वि)वियं दुरू(हावे)हेइ २ त्ता वारवईए नयरीए मझंमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव रेवयए पव्वए जेणेव सहसंबवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सीयं ठवेइ (०) पउमावई देवी सीयाओ पच्चोरूहइ २ त्ता जेणेव अरहा अरिट्ठणेमी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अरहं अरिहणेमिं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-एस णं भंते ! मम अगमहिसी पउमावई नाम देवी इट्ठा कंता पिया मणुण्णा मणा(मा अभिरामा जाव किमंग पुण पासणयाए ? तणं अहं देवाणुप्पिया ! सिस्सि(णी)णिभिक्खं दलयामि पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सिस्सिणिभिक्खं, अहासुहं०, तएं णं सा पउमावई (0) उत्तरपुर-च्छि(मे)मं दिसीभा(गे)गं अवकमइ २ त्ता सयमेव आभरणालंकारं ओमुयइ २ त्ता सयमेव पंचमुठियं लोयं करेइ २त्ता जेणेव अरहा अरिट्ठणेमी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अरहं अरिट्ठणेमि वंदइ नमसइ वं० २ त्ता एवं वयासी-आलित्ते जाव धम्ममाइक्खि(तं)उं, तए णं अरहा अरिट्ठणेमी पउमावई देवि सयमेव पव्वावेइ २ त्ता सयमेव मुंडावेइ सयमेव जक्खिणीए अजाए सिस्सिणिं दलयइ, तए णं सा जक्खिणी अजा पउमावइं देवि स(यं)यमेव पव्वा० जाव संजमियव्वं, तए णं सा पउमावई जाव सजमइ, तए णं सा पउमावई अज्जा जाया ईरियासमिया जाव गुत्तवंभयारिणी, तए णं सा पउमावई अजा जक्खिणीए अजाए अंतिए सामाइयमाइयाई एकारस अंगाई अहिजइ, बहूहि चउत्थछट्ठमदसमदुवालसेहि मासद्धमासखमणेहि० अप्पाणं भावमा(णी)णा विहरइ, तए णं सा पउमावई अज्जा बहुपडिपुण्णाई वीसं वासाइं सामण्णपरियागं [पाउणइ] पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झू(झो)सेइ २ त्ता सहि भत्ताई अणस (णेणं)णा-ए छेदेइ २ त्ता जस्सहाए कीरइ जिणकप्पभावे थेरकप्पभावे जाव तमढं आराहेइ चरिमुस्सासेहि सिद्धा ५ ॥ ९ ॥ (उ० य अ०) तेणं कालेणं तेणं समएणं वारवई (ण०) रेवयए उजाणे नंदणवणे तत्थ णं वारवईए नयरीए कण्हे वासुदेवे० तस्स णं , कण्ह[स्स]वासुदेवस्स गोरी देवी वण्णओ अरहा (अ०) समोसढे कण्हे णिग्गए गोरी
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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