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________________ २ सु० भ० ३-उ० ३] सुत्तागमे ज्जिज्जा ॥ ७५४ ॥ से भिक्खू वा (२) आयरियउवज्झाएहिं सद्धि दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेजा, ते णं पाडिपहिया से एवं वएज्जा “आउसंतो समणा के तुन्भे ? कओ वा एह ? कहिं वा गच्छिहिह” जे तत्थ आयरियउवज्झाए से भासेज वा, वियागरेज वा, आयरियोवज्झायस्स भासमाणस्स वा वियागरेमाणस्स वा णो अंतराभासं करेजा, तओ संजयामेव अहारातिणिए वा० दूइज्जेज्जा ॥ ७५५॥ से भिक्खू वा (२) अहारातिणियं गामाणुगामं दूइज्जमाणे णो अहारातिणियस्स हत्थेण हत्यं जाव अणासायमाणे तओ संजयामेव अहारातिणियं गामागुगाम दूइजिज्जा ॥ ७५६ ॥ से भिक्खू वा (२) अहारातिणियं दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेज्जा, ते णं पाडिपहिया एवं वदेज्जा, आउसंतो समणा के तुमे ? कओ वा एह ? कहिं वा गच्छिहिह ? जे तत्थ सव्वरातिणिए से भासेज्ज वा वागरेज वा अहारातिणियस्स भासमाणस्स वियागरेमाणस्स वा णो अंतराभासं भासेज्जा, तओ संजयामेव अहाराइणियाए गामाणुगामं दूइजिज्जा ॥ ७५७ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगाम दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया आगच्छेजा, ते णं पाडिपहिया एवं वदेजा “आउसंतो समणा ! अवियाइं एत्तो पडिपहे पासह तंजहामणुस्सं वा गोणं वा महिसं वा पसु वा पक्खि वा, सिरीसिवं वा जलयरं वा से आइक्खह दंसेह" तं णो आइक्खेज्जा णो दंसेज्जा णो तेसिं तं परिणं परिजाणिज्जा, तुसिणीओ उवेहेजा, जाणं वा, णो जाणंति वएज्जा, तओ संजयामेव गामागुगामं दूइजेज्जा ॥ ७५८ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया आगच्छेजा ते णं पाडिपहिया एवं वएज्जा “आउसंतो समणा अवियाइं एत्तो पडिपहे पासह उदगपसूयाणि कंदाणि वा मूलाणि वा तयाणि वा पत्ताणि वा पुष्पाणि वा फलाणि वा बीयाणि वा हरियाणि वा उदगं वा संणिहियं अगणिं वा संणिक्खित्तं, सेसं तं चेव से आइक्खह, जाव दूइज्जेज्जा ॥ ७५९ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेज्जा ते णं पाडिपहिया एवं वएज्जा, आउसंतो समणा अवियाइं एत्तो पडिपहे पासह, जवसाणि वा, जाव से णं वा, विरूवरूवं संणिविठ्ठ, से आइक्खह जाव दूइजिज्जा ॥ ७६० ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया जाव “आउसंतो समणा ! केवइए एत्तो गामे वा जाव रायहाणी वा से आइक्खह जाव दूइजिज्जा ॥ ७६१ ॥ से भिक्खू वा (२) गामाणुगामं दूइजमाणे अंतरा से पाडिपहिया जाव “आउसंतो समणा केवइए एत्तो गामस्स णगरस्स वा जाव रायहाणीए वा मग्गे, से आइक्खह तहेव जाव दूइजिज्जा ॥ ७६२ ॥ से भिक्खु वा ५ सुत्ता.
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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