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________________ सुत्तागमे [ णायाधम्मकहाओ उवस्सयस्स वइपरिक्खित्तस्स संघाडिवद्धियाए णं समतलपइयाए आया (वि) वेत्तए : तणं सा सूमालिया गोवालियाए (अज्जाए) एयमहं नो सद्दहइ नो पत्तियइ नो रोएइ एयमहं असद्दहमा (णे ) णी ३ सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरसामंते छहंछट्टेणं जाव विहरइ ॥ ११९ ॥ तत्थ णं चंपाए (न०) ललिया नाम गोट्टी परिवसइ नरवइदिन्न(वि) पयारा अम्मापिइंनिययनिष्पिवासा वेसविहारकयनिकेया नाणाविह अविणयप्पहाणा अड्ढा जाव अपरिभूया । तत्थ णं चंपाए (०) देवदत्ता नामं गणिया होत्या सू (सुकु) माला जहा अंडनाए । तए णं तीसे ललियाए गोडीए अन्नया [कयाइ ] पंच गोलगपुरिया देवदत्ताए गणियाए सद्धि सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उजाणतिरिं पचणुभवमाणा विहरंति । तत्थ णं एगे गोहिलगपुरेसे देवदत्तं गणियं उच्छंगे (र) रेइ एगे पिओ आयवत्तं धरेइ एगे पुप्फपूर (यं) गं रएइ एगे पाए रएइ एगे चामरुक्खेवं करेइ । तए णं सा सूमालिया अज्जा देवदत्तं गणियं तेहिं पंचहिं गोटिलपुरिसेहिं सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमा (णि) णीं पासइ २ ता इमेयारूवे कप्पे समुप्पजित्था - अहो णं इमा इत्थिया पुरापोराणाणं कम्माणं जाव विहरइ । तं जइ णं केइ इमस्स सुचरियस्स तवनियमवंभचेरवासस्स काणे फलवित्तिविसेसे अत्थि तो णं अहमवि आगमिस्सेणं भवग्गहणेणं इमेयारूवाई उरालाई जाव विहरिज्जामि-त्तिकट्टु नियाणं करेइ २ त्ता आयावणभू (मिओ) मीए पच्चोरु(ह) भइ ॥ १२० ॥ तए णं सा सूमालिया अज्जा सरीर (व) वाउसा जाया यावि st अभिक्खणं २ हत्थे धोवेइ [अभिक्खणं २] पाए धोवेइ सीसं धोवेइ मुहं धोवे थणतराई धोवेइ कक्खंतराई धोवेइ गु (गो) ज्अंतराई धोवेइ जत्थ [२] णं ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेएइ तत्थ वि य णं पुव्वामेव उदएणं अब्भु (क्खइ) क्खेत्ता तओ पच्छा ठाणं वा ३ चेएइ । तए णं ताओ गोवालियाओ अजाओ सूमालियं अजं एवं वयासी एवं खलु (देवा० 1 ) अजे ! अम्हे समणीओ निग्गंधीओ इरियासमियाओ जाव वंभचेरधारिणीओ, नो खलु कप्पड़ अम्हं सरीरवाउसियाए होत्तए, तुमं च णं अजे ! सरीरवाउसिया अभिक्खणं २ हत्थे थो (व) वेसि जाव चे(दे)एसि, तं तुमं णं देवाणुप्पिए । एय (त) स्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवज्जाहि । तए णं सूमालिया गोवालियाणं अजाणं एयमहं नो आढाइ नो परि (जाण) याणाइ अणाढायमाणी अपरि (जा) याणमाणी विहरइ । तए णं ताओ अजाओ सूमालियं अजं अभिक्खणं २ (अभि ) ही (लं) लेंति जाव परिभवंति अभिक्खणं २ एयमहं निवारेंति । तए णं तीसे सूमालियाए समणीहिं निग्गंथीहिं हीलिजमाणीए जाब वारिजमाणीए इमेयारूवे अज्नत्थिए जाव समुप्पज्जित्था - जया णं अहं अगारवासम १०८०
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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