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________________ इतिहास एव राजनीति का एक विद्वान् सैकडो ग्रन्थो का पर्यालोचन करके केवल इसीलिये अपने विषय पर तन्मय होकर लिखता रहता है कि उसे उसमे रस आता है। यही बात अन्य अनेक विषयो का अन्वेषण करने वालो पर भी लागू होती है। इन तीनो ,विषयो को रस मानना ही चाहिये। किन्तु यदि आजकल के आलोचक अब भी हठवश इन विषयो को रसो मे सम्मिलित करना स्वीकार न करेंगे तो वह देखेंगे कि कुछ समय पश्चात् इन विषयो की आलोचना की गगा उनकी पूर्णतया उपेक्षा करके स्वय ही प्रवाहित होने लगेगी। इस ग्रंथ की कथावस्तु-अब हम आलोचना के विषय को छोडकर फिर अपने प्रकृत विषय पर आते है । हमारे प्रस्तुत उपन्यास की कथावस्तु का आधार वह प्रसिद्ध व्यक्ति है, जिसको आज भारतीय इतिहास के निर्णीत भाग का आदि पुरुष माना जाता है। वास्तव मे श्रेणिक बिम्बसार से पूर्व का भारतीय इतिहास अत्यधिक विवादास्पद होने के कारण अभी तक भी निर्विवाद रूप से इतिहास में स्थान नही पा सका है। यद्यपि श्रेणिक बिम्बसार के सम्बन्ध की भी सब घटनाए इतिहास मे नही पा सकी है, किन्तु जैन तथा बौद्ध ग्रन्थ उसके जीवन की अनेक घटनामो से भरे पडे है । यद्यपि उन सभी घटनाओ को अभी निर्विवाद रूप से सत्य नही माना जा सकता, किन्तु ऐतिहासिक अन्वेषण के इस युग मे कौन जाने कि भविष्य में कौन सी घटना ऐतिहासिक तथ्य की कसौटी पर खरी उतर आवे। हमने इस ग्रन्थ मे उन सभी घटनाओ को ज्यो-का-त्यो ग्रहण कर लिया है। इससे हमको एक लाभ यह भी हुआ है कि नई-नई कल्पनाए करने का झझट कुछ कम हो गया है, फिर भी हमको इस ग्रन्थ मे कुछ नई-नई कल्पनाए करनी ही पडी है, जैसा कि आगे चल कर दिखलाया जावेगा। श्रेणिक बिम्बसार एक ऐसा व्यक्ति था, जो भगवान् महावीर तथा गौतम बुद्ध दोनों का समकालीन था। उसको दोनो ही महानुभावो के मुख से उनके उपदेश सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था । गौतम बुद्ध ने भगवान् महावीर से प्रथम उपदेश देना प्रारभ किया था। अतएव श्रेणिक विम्बसार प्रथम बौद्ध बन कर पीछे जैन बना था।
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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