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________________ गृह-जामाता समीप से उनकी बातें सुनी। उसी वार्तालाप से मुझे यह पता चला कि यह व्यक्ति मगध का भूतपूर्व युवराज बिम्बसार है। नन्दिश्री-क्यो, भूतपूर्व युवराज क्यो ? सेठ जी-बात यह है कि इनके पिता महाराज भट्टिय उपश्रेणिक ने तिलकवती नाम की एक भील-कन्या से यह प्रतिज्ञा करके विवाह किया था कि उसके औरस पुत्र को ही वे अपना उत्तराधिकारी बनावेगे। बिम्बसार गुप्त रूप से सदा ही अपने पास पाच सौ सैनिक रखा करते थे। राजा ने उन सैनिकों के बहाने ही इन पर राजद्रोह का आरोप लगा कर इन्हे देशनिर्वासित कर दिया। जो लोग इनके पास यहा आकर छिप-छिप कर मिलने है वह उनके उन्ही पाच सौ सैनिको मे से है। वह इन्हे मगव राज्य के समाचार नियमित रूप से देते रहते है। नन्दिश्री-अच्छा | इनके सुन्दर मुख के पीछे कभी-कभी दिसलाई देनेवाली चितित मुद्रा का अर्थ मेरी समझ में अब आया। सेठ जी-कितु बेटी | यदि इस समय यह तेरे साथ विवाह कर ले तो मैं कृतकृत्य हो जाऊँ। नन्दिश्री-(लजा कर) कुछ अनुचित तो नहीं है । सेठ जी-तू उसके स्वभाव से परिचित तो हो गई है न ? इस सम्बन्ध का कुछ बुरा परिणाम तो नही निकलेगा? नन्दिश्री-नही, पिता जी, ऐसी आशका तो मुझे नही है । सेठ जी-अच्छा मै इस सम्बन्ध मे राजकुमार के विचार जानने को उनके कमरे में अभी जाता हूँ। इतना कह कर सेठ जी ने राजकुमार के कमरे के बाहिर जाकर धीरे से आवाज दी। सेठ जी--क्या राजकुमार सो गए? राजकुमार-नही, अभी तो जग रहा हूँ। आइये । सेठ जी राजकमार के बलाने पर प्रदर चले गए और उनकी चारपाई के
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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