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________________ राज्य संन्यास ~ ~ - ~ - ~ ~ Animurwwmmmmmmwwwr unm. •धिकारियो ने सम्राट् चिलाती के प्रति भक्ति की शपथ ली। इस शपथ-ग्रहण समारोह के बीच यह किसी ने भी ध्यान नही दिया कि महाराज भट्टिय उपश्रेणिक न जाने कब सभा से उठ कर पास के एक कमरे में चले गए और वहा ही सम्पूर्ण राज्य-चिन्हो का त्याग कर तथा भगवे वस्त्र पहिन कर बाहिर राजसभा मे आए। शपथ ग्रहण कार्यवाही के हो चुकने पर उन्होने खडे होकर फिर कहा "सभासदो तथा नागरिको । मुझे प्रसन्नता है कि आज मै अपने गृहस्थ कार्यों को समाप्त कर चुका। आज मैने अपने सब से अन्तिम कर्तव्य उत्तराधिकार-समर्पण के कार्य को भी कर डाला। अब मैं गृहस्थ का त्याग कर भगवे वस्त्र पहिन कर वन जा रहा हूँ। मेरी उस परम पिता परमात्मा से प्रार्थना है कि वह आप सब का कल्याण करे।" उनके यह कहते ही जनता ने "राजर्षि उपश्रेणिक की जय ।" के शब्द से उनका अभिवादन किया। राजा उपश्रेणिक के जाते समय समाट् चिलाती ने सिहासन से उठ कर उनके चरण छए । उसके पश्चात् वह सारी सभा के देखते-देखते नगे पैरो वन को चले गए। जनता उनको गिरिव्रज के प्राकार तक पहुंचा कर फिर वापिस लौट आई।
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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