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________________ जिसे बाद मे चण्ड प्रद्योत कहा गया। उसने उत्तर की ओर बढकर मथुरा को जीतकर वहा का शासन अपने एक पुत्र को सौप दिया। जिसको तत्कालीन ग्रन्थो में अवन्ति पुत्र तथा जैन ग्रन्थो मे सुबाहु कहा गया है। इसके पश्चात् . उसने हस्तिकान्त शिल्प के प्रतिभाशाली विद्वान् वत्सराज उदयन को धोखे से कैद किया। प्रद्योत ने उदयन से अपनी पुत्री को पढवाना प्रारम्भ किया । पढाई बीच मे पर्दा डाल कर की जाती थी। प्रद्योत ने उदयन से कहा कि तुमको एक बुड्ढी कुबडी को शिक्षा देनी है। उधर उसने वासवदत्ता से कहा कि तुझे एक कोढी पढावेगा। किन्तु यह भेद प्रकट होने पर दोनो में प्रेम हो गया और उदयन प्रद्योत की पुत्री सहित उज्जैन से भागकर अपनी राजधानी कोशाम्बी आ गया। उदयन के प्रद्योत-पुत्री से विवाह हो जाने पर प्रद्योत तथा उदयन का भी प्रेम बढ गया। इससे प्रद्योत की शक्ति और बढ गई, क्योकि आधीन उदयन की अपेक्षा जामाता उदयन उसके लिये अधिक उपयोगी सिद्ध हुआ। बिम्बसार के विरुद्ध अजातशत्रु का विद्रोह-अभयकुमार के भगवान् महावीर स्वामी के पास दीक्षा ले लेने पर बिम्बसार ने अपने एक और पुत्र दर्शक को युवराज बनाकर उससे काम लेना प्रारम्भ किया। सभवत दर्शक कोशलदेवी क्षेमा का पुत्र था। कुछ वर्ष बाद रानी चेला का ज्येष्ठ पुत्र अजातशत्रु (कुरिणक) काम करने योग्य हो गया। अपने शासन के अतिम वर्षों में बिम्बसार ने उसे चम्पा (मन जनपद) का शासक नियत कर दिया। किन्तु अजातशत्रु को अग के राज्य से सतोष न हुआ। वह सपूर्ण मगध राज्य का स्वामी होना चाहता था। उसने चम्पा का राज्य पाने के पूर्व ही अपने पिता के विरुद्ध षड्यन्त्र करना प्रारम्भ कर दिया था। . इन दिनो बौद्ध संघ मे भी गौतम बुद्ध का चचेरा भाई देवदत्त बुद्ध के विरुद्ध षड्यत्र कर रहा था। उसने अजातशत्रु के साथ मिल कर अपनी शक्ति को बढाने का यत्न किया। ___ अत मे अजातशत्रु ने अपने पिता राजा बिम्बसार को कैद कर लिया। इस जेल जीवन मे परमप्रतापी, अगविजेता, सैनिक श्रेणी के नेता सम्राट् बिम्बसार का स्वर्गवास हुआ । इस घटना से खिन्न होकर अजातशत्रु की माता महारानी
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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