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________________ रानी चेलना का धर्म-संघर्ष उसे हँसी मे छिपा दिया गया है। रानी | गुरुप्रो के साथ तु को इस प्रकार की हँसी नही करनी चाहिये।" बौद्ध-गुरुप्रो के यह वचन सुनकर रानी हँस कर बोली "महाराज | जब आप किसी व्यक्ति के तीनो जन्मो का हाल जानने योग्य ज्ञान के धारक है तो क्या आप अपने उस ज्ञान की सहायता से अपने जूते को नही खोज सकते " रानी के मुख से इन शब्दो को सुनकर साधु लोग बडे लज्जित हुए। अत मे उनको यह कहना ही पड़ा कि "सुन्दरी । हमको ऐसा ज्ञान नही है कि हम इस बात को जान ले कि हमारे जूते कहाँ है । कृपा कर आप ही हमारे जूते बतलावे।" . बौद्ध-गुरुप्रो के यह वचन सुनकर रानी को क्रोध हो आया। वह उनसे बोली___“महापुरुषो । जब आप जैन-धर्म को जानते तक नहीं, तो आपने उसकी निदा कैसे की ? बिना समझे बोलने वाले मनुष्य को पागल कहा जाता है। आप लोग गुरुपद के योग्य कदापि नही है। आप लोग भोले-भाले प्राणियो को ठगने वाले, असत्यवादी, मायाचारी एव पापी है।" रानी के मुख से ऐसे वचन सुनकर बौद्ध-गुरु बगले झाकने लगे। उनसे कोई भी उत्तर देते न बना । अन्त मे वह केवल यही बोले___ "रानी | आप कृपा कर हमारे जूते दे दे, जिससे हम अपने स्थान को चले जावे।" बौद्ध-गुरुपो के यह वचन सुनकर रानी बोली "महानुभाव | आपकी चीज आपके ही पास है। आप विश्वास रखें वह किसी दूसरे के पास नही है।" रानी चेलना के यह वचन सुनकर सजय बहुत नाराज होकर रानी से बोले"रानी । तू यह क्या कहती है ? हमारी चीज़ हमारे पास कहाँ है ? २३६
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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