SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 231
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रेणिक बिम्बसार रानी-अच्छा महाराज | आपका आग्रह ही है तो सुनिये। वैशाली से मुझे राजगृह लाने को फुसलाते समय युवराज ने यह बतलाया था कि आप जैनी है, किन्तु यहा आकर मै देखती हूँ कि आपका घर परम पवित्र जैन धर्म से रहित है। आपके यहा बौद्ध धर्म की पूरी सत्ता जमी हुई है। मै प्राय यही सोचा करती हू कि पुत्र अभयकुमार ने यह बहुत बुरा किया जो वैशाली मे छल से जैन धर्म का वैभव दिखलाकर मुझ भोली-भाली को ठग लिया। माना कि आपका वैभव अलौकिक है, किन्तु जैन धर्म के बिना मुझे वह सब नि सार दिखलाई देता है, क्योकि यदि ससार मे धर्म न होकर धन मिले तो उस धन का न मिलना ही अच्छा । किन्तु यदि धन के बिना धर्म मिले तो वह धर्म समस्त सुखो का मूल है, धर्म के बिना सासारिक सुख का केन्द्र चक्रवर्तीपना भी किसी काम का नही । मै बारबार यही सोचा करती हूँ कि मैने पिछले जन्म मे कौन सा घोर पाप किया, जो इस जन्म मे मुझे जैन धर्म से विमुख होना पडा । हाय | इस प्रकार तो मेरा क्रमश जैन धर्म से सबध छूट ही जावेगा। स्त्रियो को कवियो ने इसीलिये अबला कहा है कि वह बिना सोचेसमझे दूसरों की बातो पर विश्वास कर लेती है और पीछे पछताती है । यह कहकर रानी चेलना सुबक-सुबक कर रोने लगी। तब राजा बोले "रानी, तुम्हारी इस चिन्ता का समाचार मुझे कई बार मिल चुका है । इसीलिये मैने यह कठोर प्राज्ञा प्रचारित कर दी है कि तुम्हारे धर्म-ध्यान एव धर्माचरण में किसी प्रकार की बाधा न डाली जावे। हा, यह तुम्हारा भ्रम है कि ससार भर का भला जैन धर्म ही कर सकता है । ससार में यदि कोई धर्म है तो वह बौद्ध धर्म ही है। यदि जीवों को सुख मिल सकता है तो बौद्ध धर्म से ही मिल सकता है। भगवान् बुद्ध ही सच्चे देव है। वह समस्त ज्ञान एवं विज्ञान को जानते है । संसार में उनसे बढकर कोई देव उपास्य एवं पूज्य नही है। जो लोग अपने आत्मा के हित की आकांक्षा करते है उन्हें भगवान् बुद्ध की ही पूजा, भक्ति तथा स्तुति करनी चाहिये । प्रिये ! भगवान् २३२
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy