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________________ श्रमण गौतम "बधाई है महाराज ! वधाई ! आप के कुमार सिद्धार्थ ने धनुषयज्ञ मे सब कुमारो को नीचा दिखला कर यशोधरा जैसे कन्यारत्न को वरण किया है।" "महामत्री । धन्यवाद । यह हमारे परम सौभाग्य की बात है । किन्तु आप जानते है कि मेरी चिन्ता केवल इतने से ही दूर नही हो सकती।" राजा शुद्धोदन ने उत्तर दिया। "क्यो महाराज | अब चिंता का क्या काम । अब तो कुमार गृहस्थी के बधन मे पड गये।" "असित मुनि के उन वचनो को आप भूल गये महामत्री । जो उन्होने कुमार के जन्मोत्सव के समय उनके भविष्य के सबध मे ' कहे थे ? उन्होने बतलाया था कि ससार रूपी गड्ढे मे गिरते हुए प्राणियो का उद्धार करने के लिये ही इस बालक का अवतार हुआ है। यह एक बड़ा भारी त्यागी महात्मा बनेगा और यदि यह किसी रोगी, वृद्ध तथा मृतक को देख लेगा तो शीघ्र ही घर छोड देगा । अस्तु, मैने कुमार का पालन-पोषण अभी तक बड़ी सावधानी से किया है । उसके चारो ओर सासारिक विषयो की इच्छा को भडकाने वाले साधन मै बराबर जुटाता रहता हू । फिर भी उसको मै प्राय कुछ सोचते हुए ही पाता हू । मैं जानता हूं कि कुमार त्यागी है । उसके मन को बड़े से बडे विषय-भोग भी ससार में नही बाध सकते । यशोधरा ने कुमार के जीवन मे प्रवेश अवश्य किया है, किंतु देखना है कि वह कुमार को अभी कितने वर्ष घर में बाध कर रख सकती है।" महाराज यह बात तो ठीक है। किन्तु हमें अपनी ओर से कसर बयो करनी चाहिये
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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