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________________ बुद्धि-चातुर्य दी। दूत के मुख से इस सन्देश को पाकर ब्राह्मण फिर घबरा गए। वह सोचने लगे कि दूध या तो गाय, भैस, बकरी आदि पशुओ का होता है अथवा नारियल आदि फलो का होता है । इनके अतिरिक्त बड, पीपल, अजीर आदि पच उदुम्बर फलो का भी दूध होता है, किन्तु वह मीठा नही होता। इनके अतिरिक्त अन्य किसी का दूध तो आज तक सुनने मे नही आया । महाराज ने जो अन्य किसी प्रकार का दूध मगवाया है यह उनको क्या सूझी है? क्या वह अब हमारा सर्वनाश ही करना चाहते है ? इस प्रकार विचारते हुए वह व्याकुल होकर फिर कुमार के पास आए । उन्होने महाराज का सदेश उनको सुनाकर उनसे यह निवेदन किया___"महानुभाव | महाराज की अब की बार की आज्ञा बडी कठिन है। क्योकि पशुप्रो तथा फलो के अतिरिक्त और किस प्रकार का दूध हो सकता है। यदि हो भी तो उसे दूध नही कहा जा सकता। अब की बार तो महाराज ने इस दूध के बहाने से हमारे प्राण मागे है । ब्राह्मणो के वचन सुनकर कुमार ने फिर उनको धीरज बधाया। वह कहन लगे___ “दूध और प्रकार का भी होता है। मैं अभी उसे महाराज की सेवा में भिजवाता है। आप तनिक धैर्य रखकर शीघ कच्चे धानो की बाल मगवा ले और उनको मसल कर उनका गौ के दूध के समान उत्तम दूध बनवा ले। फिर उनको उत्तम घडो मे भरवाकर वह घडे समाट् की सेवा मे भेज दे।" ब्राह्मणो को कुमार का यह वचन सुनकर बडी प्रसन्नता हुई। उन्होने तुरन्त ही दस-बीस आदमी धान के हरी बाल काटन के लिये खेतो पर भेज दिये । बालो के आजाने पर यत्नपूर्वक उनके दाने निकालने के लिये चालीसपचाग आदमी विठला दिये गए। जितने दाने निकलते जाते उनको पीस कर उनका दूध बनना लिया जाता था । इस प्रकार के दूध के दस घडे भर कर उन्होने राजा श्रेणिक के पास भेज दिये। महाराज दूध से भरे घडो को देखकर आश्चर्य मे पड गए। नन्दिग्राम के ब्राह्मणो की बुद्धि पर उनको बडा भारी आश्चर्य हुआ। तुरन्त ही उनके मन १२५
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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