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________________ श्रेमिक बिम्बसार उसको एक सप्ताह बाद वापिस मँगवाया जावेगा । यदि तनिक भी वह बकरा घटाया बढा तो ग्राम के सभी ब्राह्मणो को राज-दण्ड देकर उनसे गाव छीन लियो जावेगा । वर्षकार ने एक बकरे को तुलवाकर इसी राज्याज्ञा के साथ नन्दिग्राम भिजवा दिया । नन्दिग्राम में उस समय एक उत्सव मनाया जा रहा था। राजसेवको के साथ एक बकरा आने के समाचार से ग्राम भर मे खलबली मच गई । राज-सेवक सीधे गाव के मुखिया तथा धर्मशाला के प्रबन्धक नन्दिनाथ के घर पर गए । उन्होने वहा जाकर उससे कहा--- “विप्रवर नन्दिनाथ । सम्राट् श्रेणिक बिम्बसार ने आपके पास यह बकरा तोल कर भेजा है और आज्ञा दी है कि आपको जो राज्य की ओर से अतिथिदान के लिये द्रव्य मिलता है उसी में से इस बकरे को प्रतिदिन खूब खिलायापिलाया जावे | इसको लेने के लिये हम एक सप्ताह बाद आवेगे । उस समय इस बकरे को फिर तोला जावेगा । यदि तोल में उस समय यह तनिक भी घटा या बढा तो आपसे नन्दिग्राम छीन कर देयद्रव्य का देना भी आपको बन्द कर दिया जावेगा ।" U नन्दिनाथ राजसेवको के इस कथन को सुनकर एकदम घबरा गए। वह उनकी बहुत खुशामद करके कहने लगे " राजपुरुषो, हम ब्राह्मण है । ब्राह्मण सभी की सहायता का पात्र होता है । अतएव आप हमको कम से कम यह तो बतला दो कि इस आपत्तिसे छुटने का क्या उपाय है ܕ ܕ ११४ इस पर राजपुरुष बोले "विप्रवर ! हम इसमे आपकी कुछ भी सहायता नही कर सकते और न कोई सम्मति ही दे सकते है । क्योकि यह आज्ञा किसी सामान्य अधिकारी की न होकर स्वयं सम्राट् द्वारा दी गई है। यदि आप इस आपत्ति से छुटकारा चाहते है तो किसी प्रकार सम्राट् को प्रसन्न करें । इसके अतिरिक्त अन्य उपाय सभव नही है । " राजपुरुष यह कह कर गिरिव्रज लौट गए। इस घटना से नन्दिग्राम का
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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