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________________ गिरिव्रज पर आक्रमण 'बिम्बसार के राज्य में सोकर उठे। तीसरा-किन्तु यह पता नही चला कि चिलाती का क्या हुआ? वह मेरे सम्बन्धी की एक विधवा देवी का सतीत्व भग कर चुका है । मुझे यदि वह कही मिल जावे तो मै तो उसके शरीर की वोटी-बोटी काट दूं। चौथा-अरे भाई, नगर में ऐसा कौन है, जिसको उसके हाथो कष्ट उठाना नहीं पड़ा । उससे तो सभी बदला लेने पर तुले हुए है। पहला-भाई, चिलाती अभी तक पकडा तो गया नही। यदि वह पकडा जाता तो नगर मे शोर मच जाता। निश्चय ही वह गुप्त मार्ग के द्वारा गिरिव्रज से भागेगा। तीसरा-तब तो भाई उसे तलाश करना चाहिये। क्या तुममे से किसी को किसी गुप्त मार्ग का पता है ? दूसरा-अरे, पता तो नही, किन्तु यह सुना है कि एक गुप्त मार्ग कहीं यही मैदान मे आकर खुलता है। चौथा-(एक ओर सकेत करके) अरे वह देखो, वह एक आदमी धीरे धीरे जमीन मे से निकल रहा है । कही वही तो चिलाती नही है ? पहला-हा, भाई वही है। चलो, उसे पकडकर उसका काम तमाम कर दे। उसके यह कहते ही वे चारो उसकी ओर को दौड पडे। उनमे से एक ने जाते ही तलवार का ऐसा हाथ मारा कि चिलाती का सिर घड से अलग हो गया । उसकी लाश को वही छोडकर वे चारो अपने खून के धब्बे साफ करके वहा से नगर मे लौट आए । यहा आने पर उन्होने यह समाचार नगर मे फैला दिया कि चिलाती का मृत शरीर नगर के बाहिर मैदान में पड़ा हुआ है। महामात्य कल्पक ने इस सवाद को सुनकर उसकी लाश को मँगवाकर उसे सार्वजनिक प्रदर्शन के लिये नगर के मुख्य द्वार पर रखवा दिया। इस प्रकार मगध मे कुछ ही घटो मे एक ऐसी क्रान्ति हो गई, जैसी इतिहास मे बहुत कम सुनने में आती है। १०७
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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