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________________ श्रेणिक बिम्बसार पर विचार करना है। प्रथम, आचार्य कल्पक के इस गिरिव्रज विश्व-विद्यालय को मगध की भावी राज्यक्रान्ति का गुप्त केन्द्र बनाया जावे। द्वितीय, यह कि चिलाती को पदच्युत किया जावे और ततीय, यह कि उसके वास्तविक अधिकारी श्रेणिक बिम्बसार को बुला कर उसे मगध के शासन की बागडोर सौप दी जावे। क्या आप दोनो को यह प्रस्ताव स्वीकार है ? दोनों-इससे अच्छा दूसरा निश्चय नही किया जा सकता। वर्षकार-तो मित्रो, हम तीनो को अपने-अपने कार्य का विभाजन कर लना चाहिये। गुणभद्र-यही मेरी भी इच्छा है। वर्षेकार-तुम मित्र, सेनाओ मे प्रचार का कार्य अपने ऊपर लो । प्रत्यक सैनिक के मन मे चिलाती के अत्याचार का नक्शा जम जाना चाहिये । सैनिक अधिकारियो के मन में भी यह धारणा घर कर जानी चाहिये कि वह अन्याय का पोषण करने के लिये नौकरी कर रहे है। किन्तु इस बात का ध्यान रखना कि इस सारे प्रचार मे तुम्हारे नाम का किसी को पता न लैंग। गुगभद्र-इस बात से आप निश्चित रहे मित्र ! वर्षकार-और तुमको शालिभद्र में राजमहल के प्रचार का कार्य देता हूँ। तुम वहा पूजा-पाठ करने दैनिक जाते हो। अतएव तुम अन्त पुर के प्रत्येक व्यक्ति से सुगमता से मिल सकते हो । तुम को भी स्वय अलग रहते हुए इसी प्रकार का प्रचार अन्त.पुर मे करना है। शालिभद्र-मै इस कार्य को सुगमता से कर सकू गा मित्र । वर्षकार-यदि आप दोनो इन कार्यों को सभाल लेंगे तो शेष राज्याधिकारियो के मन पर मै सुगमता से अधिकार कर लगा। इस बात का ध्यान रहे कि पिता जी के कान मे अपनी योजना को भनक भी न पडने पाये। उन से तो मै समय पर पूर्ण कार्य स्वय ही सहमत कर के लू गा । गुणभद्र--अच्छा, वह गुरु जी आ रहे है। इस वार्तालाप को अभ' यही समाप्त कर दिया जावे। १००
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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