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________________ २-परघात ( दूसरे के धान करने वाले अंग २-मति ज्ञान -सांग्यववहारीक प्रत्यक्ष २-परोक्ष २-गुण-- १-अनुजीवी ( भाव स्वरुप गुण, सम्यकवादि ) २-प्रतीजीपी ( वस्तु का अभाव स्वरुप धर्म २-~-पृष्टांत १-अन्वय दृष्टांत ( जहां साधन की मौजूदगी में साध्य की मौजूदगी दिखाइ जाय) २-न्यतिरेक दृष्टांत ( जहां साध्यको गैर मौजूदगी में साथ नकी गैर मौजूदगी दिन्नाई जान ) २-अकिंचित्करहेत्वाभास १-सिद्धसाधन (जिस हेतु का साध्य सिद्ध. हो । २-बाधितविषय ( जिस हेतु के साध्य में दुसरं प्रमापस भाषा आवे) २-विशेष-- ... 1-सहभावी ( वन के पूरे हिस्से और उसकी सब अवस्थाओं में रहने वाला विशेष) :-क्रमभावी (कम से होने वाले वद के विशेष
SR No.010583
Book TitleJain Dharmamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddhasen Jain Gpyaliya
PublisherSiddhasen Jain Gpyaliya
Publication Year
Total Pages78
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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