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-समर्पण
श्रीमान् परमपूज्य पिता जी केकस्फमलों में
साधर--
समर्पित !
परमपूज्य ।
भाप की ही यह कृपा है ज्ञान कुछ मैंने लहा; उपकार कितना है किया मुझ से न जा सका कहा ज्ञान की बातें सभी में पाठकों को हां, रुचे- ये कीजिए आशीष ऐसा धर्म तरुवर सब सिंचें !!
माशालारी-पुत्र "सिसूसेम।