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________________ [ ७ ] शोक की बात है कि जहाँ हम पहिले “आर्यों की सन्तान हो, हिन्दू कहाना छोड़ दो" इस प्रकार के भजन गा-गा कर हिन्दुओं को भी आर्य कहलाने का उपदेश दिया करते थे, वहाँ आज हम ही अपने को हिन्दू कहने लग पड़े हैं। हमारे पूज्य नेता श्री पं० लेखरामजी ने हिन्दु-पन तथा 'हिन्दू' नाम को हटाने के लिये भरसक प्रयत्न किया। हिन्दू शब्द को ममूल नष्ट करने के लिये उन्होंने 'आर्य तथा नमम्त की तहकीकात' नामक पुस्तक लिखी । जिन्होंने उपयुक्त पुस्तक के प्रारम्भ में ही यह लिखा "समय का परिवर्तन यहाँ तक हो चुका है, और अविद्या ने वह दिन दिखलाया है कि मनुष्यों को अपने शुद्ध नाम आदि के कहलाने की भी तमीज़ नहीं रही । सार्व-भौम, सर्वोत्तम, सम्म और वास्तविक नाम को भुला कर एक अप्रसिद्ध, काल्पनिक, असभ्य, अनुचित् और कलङ्किन नाम से हमारं भाइयों को उल्फ़त और प्रेम होगया है और सच्चे तथा असली नाम का सत्कार और परिचय दूर होकर उसका जानना और मानना भी दूर होगया है । और यहाँ तक अविद्या का बसरा हुआ कि बजाय आर्य के 'हिन्दु' और बजाय आर्यावत के 'हिन्दुस्तान' कहने और कहलाने लग पड़े । अफमोस ! सद हजार अफसोस !!" आर्य पुरुषो ! जरा ध्यान सुनो ! पं० लेवरामजी हमको क्या उपदेश दे रहे हैं। और अपने को हिन्दु कहने तथा कहलाने वालों पर कितना शोक प्रकट कर रहे हैं। दूसरी ओर हम
SR No.010582
Book TitleHum Aarya Hain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrasen Acharya
PublisherJalimsinh Kothari
Publication Year
Total Pages24
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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