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________________ 45454545454545454545454545454 मोक्ष-मार्ग के पथिक आचार्य श्री छाणी की स्मृति में स्मृति ग्रन्थ के प्रकाशन से न केवल TE आचार्य श्री की सेवाओं एवं त्याग की स्मृति स्थायी रहेगी, अपितु उसका - अध्ययन करने वालों को उससे प्रेरणा भी मिलेगी। आचार्य श्री के विशाल व्यक्तित्व एवं कतित्व का प्रभाव देश के जन-जन TF के हृदय में था। सम्पूर्ण भारत में आपने धर्म ध्वजा फहराई, समाज में फैली । - हुईं कुरीतियों को दूर किया तथा नगर-नगर में नव चेतना जागृत की तथा अनन्त भव्य जीवों का कल्याण करते हुए सर्वत्र निर्बाध विहार किया। आपने समाज में संगठनात्मक सत्र का बीजारोपण किया। जिससे जैन समाज का परिचय विश्व की अन्य समाज के समक्ष क्षितिज पर आया। धर्म की पावन गंगा बहाने वाले उस तपःपूत आत्मा के चरणों में मेरी हार्दिक शतशः श्रद्धाञ्जलियाँ समर्पित हैं। 4 शाहपुर, मुजफ्फरनगर (उ.प्र.) अकलंक कुमार जैन श्रमण-परम्परा के उन्नायक परमपूज्य आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज छाणी के स्मृति ग्रन्थ के प्रकाशन के शुभावसर पर मैं अपनी विजयांजलि पूज्य आचार्य श्री के चरणों ना में सादर समर्पित करता हूँ। पू. आचार्य श्री के बारे में अभी कम ही लोगों को विस्तार से ज्ञात है। ग्रन्थ के प्रकाशन से यह एक कमी पूरी हो सकेगी। - इस शताब्दी में श्रमण परंपरा को जीवित बनाये रखने में उनका योगदान 2ी भुलाया नहीं जा सकता। उनके माध्यम से जैनधर्म की महती प्रभावना हुई है। ग्रंथ प्रकाशन पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ। प्रथमपास जैन नर्सिंग होम, मैनपुरी (डा.) सुशील जैन 5736 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 15454545454545454545454545454545
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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