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________________ फफफफफफफफफफफ 55555555 20वीं शताब्दी के प्रारम्भ में विस्मृत दिगम्बर मुनि परम्परा को पुनर्जीवित करने वालों में छाणी वाले आचार्य शान्तिसागर जी महाराज का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है। आचार्य श्री स्वयं दीक्षित मुनि थे, इससे उनके वैराग्य परिणामों की उच्चता देखी जा सकती है। उन्होंने अनेक उपसर्गों का सामना किया और सभी में उनकी विजय हुई। उनकी वीतरागी मुद्रा के कारण उन पर चलायी हुई मोटर भी स्वयमेव रुक गई। आचार्य श्री ने अपने जन्म से राजस्थान की भूमि को पावन किया। तथा यहाँ के जन-जन में अहिंसा एवं अनेकान्त को जीवन में उतारने पर बल दिया। ऐसे महान् आचार्य श्री के चरणों में मेरा शत शत वन्दन है। निर्मल कुमार कासलीवाल बून्दी महान् दिगम्बराचार्य युग पुरुष परमपूज्य आचार्य श्री शान्तिसागर जी छाणी युग पुरुष थे। आचार्य श्री ने सुषुप्त जैन समाज में जागृति पैदा की थी तथा विलुप्त हुए मुनि धर्म को धारण कर अपनी वीतराग मनोवृत्ति का परिचय दिया था। वे साहसी एवं सिंहवृत्ति के साधु थे। ऐसे प्रशान्तमूर्ति, घोरतपस्वी आचार्य श्री के चरणों मैं मैं अपने श्रद्धा सुमन समर्पित करता हूँ। बलवीर नगर, दिल्ली 34 इन्द्रमल जैन प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति ग्रन्थ 55555555555555555
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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