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________________ 卐95555555555555555555555 निष्कलंक जीवन आचार्य श्री ने जैनधर्म की पताका एवं गौरव को ऊंचा उठाया। भारत में सर्वत्र विहार करके समस्त भारत को अपनी चरण रज से पवित्र किया। उनकी निष्कलंक दिव्य जीवन चर्या हमारे जीवन को सन्मार्ग प्रदर्शित करेगी। ऐसी महान विभूति के चरणों में मेरी कोटिशः श्रद्धाञ्जलि। शाहपुर सुन्दरलाल जैन महान् प्रेरणास्रोत परमपूज्य उपाध्याय 108 श्री ज्ञानसागर जी महाराज की प्रेरणा से प्रशान्तमूर्ति, परम श्रद्धेय. प्रातः स्मरणीय 108 आचार्य श्री शान्ति सागर (छाणी) 51 की स्मृति में “स्मृति ग्रन्थ" प्रकाशित किया जा रहा है। निःसन्देह यह एक महत्त्वपूर्ण एवं सराहनीय कार्य है। यह ग्रन्थ सांसारिक जीवों को कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगा। आचार्यश्री हम सभी के लिये महान् प्रेरणा स्रोत तथा संसार के अज्ञान रूपी अन्धकार को नाश करने के लिए सूर्य के समान थे। __मैं उन महान् दिव्य विभूति के श्री चरणों में शत शत नमन करते हुए उन महान दिव्यात्मा को हार्दिक श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हैं। शाहपुर जि. मुजफ्फरनगर (उ.प्र.) राकेश चन्द जैन प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 55555555555
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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