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________________ 555555555555555 फफफफफफफफ आचार्य श्री शान्तिसागर जी छाणी परम तपस्वी विद्वान एवं जिनधर्म तथा संस्कृति के प्रभावशाली प्रवक्ता थे। मुझे आशा है कि आपके कुशल सम्पादन में यह ग्रंथ उनके जीवनचरित्र, दर्शन एवं उच्च आदर्शों का अद्भुत संकलन होगा, जो समाज को एक नई दिशा एवं बोध प्रदान करेगा । आचार्य श्री शान्तिसागर जी छाणी की स्मृति में मैं अपनी हार्दिक श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता हूँ। ग्रंथ के सफल प्रकाशन हेतु मेरी हार्दिक शुभकामनाएं । देहली संस्कृति के प्रभावशाली प्रवक्ता है । उच्चव्यक्तित्व के महान् धनी यह बड़े प्रसन्नता की बात है कि आचार्य श्री शान्तिसागर छाणी स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन हो रहा हैं। यद्यपि पूज्य आचार्य श्री के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ परन्तु उनके जीवन-परिचय से जो भी व्यक्ति जानकारी रखते हैं, उनके मानस पर पूज्य आचार्य श्री का प्रभाव पड़े बिना नहीं रह सकता रतनलाल जैन गंगवाल अध्यक्ष दि. जैन महासमिति उच्च व्यक्तित्व के महान् धनी प्रशममूर्ति आचार्य श्री शान्तिसागर के पावन स्मृति के प्रति मैं अपनी सादर श्रद्धाञ्जलि समर्पित कर रहा हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि आपके द्वारा सम्पादित ग्रंथ के माध्यम से इन महान् तपस्वी के प्रति पाठकों के मन में उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का अध्ययन करने का और भी अधिक सुअवसर प्राप्त होगा। आपके कुशल सम्पादन में यह स्मृति ग्रंथ एक अनूठा ग्रंथ होगा जिसमें मुझे नेक की शंका नहीं है। आरा (विहार) प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति ग्रन्थ सुबोध कुमार जैन संचालक श्री जैन सिद्धान्त भवन 21 फफफफफफफफ
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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