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________________ 4545454545454545454545454545451 श्रद्धासुमन प्रशममूर्ति आचार्य श्री शान्तिसागर छाणी स्मृति ग्रंथ का जो महत्त्वपूर्ण कार्य अपने हाथ में लिया है और जितने विषय इस ग्रंथ में आपने चुने हैं, - उससे आचार्य श्री शान्तिसागर जी का ही नहीं, अपितु वर्तमान युग के सभी आचार्य व त्यागियों का जीवन परिचय प्रकाशित करके नई पीढ़ी पर बहुत बड़ा उपकार कर रहे हैं। इस ग्रंथ के माध्यम से आपने पूरी शताब्दी को महान विभतियों का समाज को ज्ञान कराने का महत्त्वपूर्ण कार्य हाथ में लिया है। मैं इस कार्य के प्रेरणास्रोत पू. उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज का आभारी हूँ तथा सम्पादक मंडल एवं प्रकाशन सहयोगी श्री सलेखचन्द योगेशकुमार जैन खतौली को आदरपूर्वक बधाई देता हूं, कि आपने एक बहुत ा ही दुर्गम कार्य हाथ में लिया है। अतः भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि आपको LE इस कार्य में पूर्ण सफलता मिले। मैं आचार्य श्री के चरणों में सादर श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ। त्रिलोकचन्द कोठारी महामंत्री अ.भा.दि. जैन महासभा कोटा (राजस्थान) श्रद्धाञ्जलि यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आचार्य श्री शान्तिसागर जी छाणी स्मृतिग्रंथ का प्रकाशन किया जा रहा है। उन्होंने 25 वर्षों से अधिक समय तक देश के विभिन्न नगरों एवं ग्रामों में भ्रमण कर जैनधर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार किया था। वे इस युग के महान आचार्य थे। जब दिगम्बर साधुओं का विहार अति मुश्किल था, उस काल में भी आचार्य शान्तिसागर जी महाराज ने जो जैनधर्म का डंका बजाया एवं जन-जन में प्रचार किया, वह चिरस्मरणीय है। ऐसे महान आचार्य के चरणों में मैं सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। राजकुमार सेठी कलकत्ता अध्यक्ष बंगाल शाखा अ.भा.दि. जैन महासभा प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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