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________________ !!!!!!!! 55555555 फ स्मृति ग्रन्थ के प्रकाशन. में पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज एवं मुनिश्री वैराग्यसागर जी महाराज का आशीर्वाद ही मूल कारण है। परिवार के हम सभी सदस्य पूज्य उपाध्याय श्री एवं मुनिश्री के चरणों में पुनः पुनः अपना नमोऽस्तु समर्पित करते हैं। संघस्थ ब्र० अतुल जी, ब्रह्मचारिणी बहिनों - अनीता जी आदि का परामर्श भी हमें समय-समय पर मिलता रहा है । इन सभी को हम वन्दन करते हैं। सम्पादक मण्डल के सभी सदस्यों के प्रति हम अपनी प्रणति निवेदन करते हैं, जिन्होंने अपनी नवोन्मेष शालिनी प्रतिभा के द्वारा इस ग्रन्थ का विद्वत्तापूर्ण सम्पादन किया है। जिन लेखकों ने अपने गरिमामय लेखों और जिन मनीषियों/समाजसेवियों / राजनेताओं / श्रेष्ठिप्रवरों ने अपनी शुभकामनाओं/ विनयाञ्जलियों/श्रद्धाञ्जलियों/सस्मरणों से इसे समृद्ध और गरिमामय बनाया है उनके हम पुनः पुन आभारी और कृतज्ञ हैं। अपनी पूज्या मातुश्री श्रीमती रतनमाला जैन, अग्रज श्री मुकेशकुमार जैन और अनुजों-दिनेश जैन एवं दीपक जैन के साथ परिवार के सभी सदस्यों का भी आभार व्यक्त करता हूँ, जिनकी जैन धर्म, दर्शन और संस्कृति के प्रति गहन आस्था और पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज एवं मुनिश्री वैराग्यसागर जी महाराज के प्रति अगाध श्रद्धा है। हम सभी की यह आस्था और श्रद्धा सदैव बनी रहे ऐसी वीर प्रभु से प्रार्थना करता हूँ। प्रकाशन मे जो त्रुटियाँ रह गई हो उनके लिए आप सभी से क्षमाप्रार्थी हूँ। श्री महावीरा टायर एजेन्सीज प्रा० लिमिटेड खतौली - २५१२०१ (मुजफ्फरनगर) उ०प्र० दूरभाष : ०१३१६-७२१८१-७२५८१ VI - योगेश कुमार जैन प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति - ग्रन्थ 14555!
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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