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________________ 454545454545454545454545454545155 तो उनके लिये मातृभाषा बन गयी थी। इसलिये वे जन-जन का ध्यान स्वतः ही अपनी ओर आकृष्ट कर लेते थे। वे पुण्यमूर्ति स्वरूप थे। कभी वे अपने आप को मुनि लिखते, कभी आचार्य और कभी भट्टारक लिखते थे। वे स्वयं । L: नग्न रहते थे इसलिये निर्ग्रन्थकार अथवा निर्ग्रन्थराज के नाम से भी उनके शिष्य उन्हें सम्बोधित करते थे। सकलकीर्ति की अब तक संस्कृत की 27 कृतियां और हिन्दी की 7 रचनायें उपलब्ध हो चुकी हैं। इनमें आदिपुराण, उत्तरपुराण, शान्तिनाथपुराण, वर्धमान चरित्र, यशोधर चरित्र, धन्यकुमार चरित्र, सुकुमाल चरित्र, जम्बस्वामीचरित्र, आगमसार, व्रतकथाकोष, द्वादशानुप्रेक्षा आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। पूजा ग्रंथों में अष्टाह्निका पूजा, सोलहकारण पूजा, गणधर वलय पूजा के नाम लिये जा सकते हैं। आचार परक ग्रंथों में मूलाचारप्रदीप प्रश्नोत्तरोपासकाचार, उल्लेखनीय हैं। व्रतकथाकोश लिखकर श्री सकलकीर्ति जी ने व्रत कथाओं को एकरूपता प्रदान की। राजस्थानी कृतियों में नेमीश्वर गीत, मुक्तावली गीत, सोलहकारण, रास, शान्तिनाथफाग, आराधना प्रतिबोधसार, सारसिखमणिरास, णमोकारफल गीत जैसी लघु कृतियां लिखकर राजस्थानी भाषा के प्रचार-प्रसार में सहयोग दिया। श्री सकलकीर्ति जी की सभी रचनायें लोकप्रिय हैं, जिनमें अधिकांश IF का प्रकाशन हो चुका है। भट्टारक शुभचन्द्र जी शुभचन्द्र नाम वाले 6 भट्टारक हो गये हैं। ज्ञानार्णव के रचयिता आचार्य LF शुभचन्द्र जी इनसे अलग हैं। प्रस्तुत शुभचन्द्र भट्टारक के प्रशिष्य एवं पद्मनन्दि के शिष्य थे। इनका पट्टाभिषेक समारोह भट्टारक पदमनन्दि जी के स्वर्गवास के पश्चात् माघ शुक्ल-पंचमी संवत 1450 को देहली में हुआ था। ये जाति से ब्राह्मण थे। 19 वर्ष की अवस्था में इन्होंने घर बार छोड़ दिया था। 24 वर्ष तक ये अपने गुरु पदमनन्दि के चरणों में रहे और अध्ययन करते रहे। जब इनका पट्टाभिषेक हुआ तो ये 43 वर्ष के थे। श्री शुभचन्द्र जी का राजस्थान एवं देहली में जबरदस्त प्रभाव था आवां (राजस्थान) की टेकरी पर उनकी निषेधिका बनी हुई है। इसी तरह टोडारायसिंह में भी इनकी निषेधिका स्थापित है। जो इनके विशाल व्यक्तित्व - प्रसममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 455 45454545454545454545454545454545
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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