SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 499
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 155555555555555545 1 में इन्होंने सबसे अधिक योगदान दिया। शास्त्र भंडारों की स्थापना, नवीन 4 TE पाण्डुलिपियों का लेखन एवं उनका संग्रह इनके अद्वितीय कार्य थे। अजमेर, या नागौर, आमेर जैसे नगरों के शास्त्र भंडार इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। अकेले राजस्थान में तीन लाख से भी अधिक पाण्डुलिपियों का संग्रह एक अभूतपूर्व कार्य है। . इन 500-600 वर्षों में देश में सैकड़ों भट्टारक हुए जिन सबका विस्तृत परिचय देना संभव नहीं हैं। यहां हम केवल 10 भट्टारकों का ही परिचय देना चाहेंगे। इनके नाम निम्न प्रकार हैं :(1) भट्टारक पद्मनन्दि (6) आचार्य सोमकीर्ति (2) भट्टारक सकलकीर्ति (7) भट्टारक ज्ञानभूषण (3) भट्टारक शुभचन्द्र (8) भट्टारक शुभचन्द्र (4) भट्टारक जिनचन्द्र (७) भट्टारक रत्नकीर्ति एवं कुमुदचन्द्र (5) भट्टारक प्रभाचन्द्र (10) भट्टारक जगत्कीर्ति भट्टारक पद्मनन्दि जी पदमनन्दि पहले जैनाचार्य थे। ये भट्टारक प्रभाचन्द्र के संघ के प्रतिनिधि के रूप में गुजरात में विहार करते थे। एक बार गुजरात में प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन किया। राजस्थान से भट्टारक को बुलवाया गया। लेकिन वे उसमें नहीं पहुंच सके। इसलिये आचार्य पद्मनन्दि के आचार, विद्वत्ता एवं व्यक्तित्व को देखकर गुजरात की जनता ने इन्हें भट्टारक पद प्रदान किया जिससे प्रतिष्ठा आदि कराने का अधिकार मिल गया। एक भट्टारक पट्टावली में इसका वर्णन इस प्रकार लिखा हआ है : भट्टारक बुलवाये सो पहुंचे नहीं। तब सबै पंचनि मिलि यह ठानी सही। सूरि मन्त्र वाहि आचारिज को दियो। पद्मनन्दि भट्टारक नाम सुं यह कियो।। भद्दारक पद्मनन्दि जी 99 वर्ष 5 मास 28 दिन जीवित रहे। इनमें से 10 वर्ष 7 महीने की अवस्था में दीक्षा धारण की। 23 वर्ष 5 महीने तक मुनि एवं आचार्य के रूप में रहे तथा 65 वर्ष 5 मास 28 दिन तक भट्टारक LE रहे। जब वे भट्टारक बने तो उनकी आयु मात्र 34 वर्ष की थी। वे पूर्ण युवा । थे। श्री पदमनन्दि जी पर सरस्वती की असीम कृपा थी और एक बार उन्होंने प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 4534 555555555555555555555
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy