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________________ 951451451461454554545454545454545 आरती ......। जय आचार्य शान्ति स्वामी, आरती करूँ तुम चरणे। जय आचार्य... गुरु अन्तरयामी। जयदेव, जयदेव। छाणी शुभ नगरी मध्ये, स्वामी भागचन्द पिता। माता माणिक कूखे, जन्मे गुरु दातार|| जयदेव, जयदेव। आदिनाथ प्रभु चरणे शिरनामी, गुरु चरणे शिर नामी। भोगों से भये हैं वैरागी, निज निधीना स्वामी।। जयदेव, जयदेव । इस काल पंचम मध्ये, गुरु महाव्रत धरीआ। आप तरे अरु तारे, हम संकट हरीया।। जयदेव, जयदेव । स्वामी हम आन करे अर्चा, गुरु ज्ञान करें चर्चा । मिटें सकल सन्ताप, मिले शिवरमणी पर्चा || जयदेव, जयदेव । त्यागी धर्म आयो गुरु चरणे, अब आयो गुरु चरणे। चार गती से टारो, मिटे जनम मरणे।। जयदेव, जयदेव। | प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 268 - - IIIII-I
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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