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________________ --- - - 1 45454545454545454545454545454545 बंगाल बिहार की यात्रा - वहाँ से ब्र. केवलदास अकेले देहली आये। कलकत्ता वालों ने आपको - टिकट के 20)रु. दिये थे। सभी मंदिरों के दर्शन के पश्चात् हस्तिनापुर चले । L: गये। वहाँ दो दिन तक ठहरकर दर्शन किये। इसके पश्चात् देहली आये। - धर्मशाला में ठहरे। बलदेव लाला ने 4) रु. कानपुर के टिकट के दिये फिर कानपुर चले गये। वहाँ महासभा का अधिवेशन हो रहा था। पूरा अधिवेशन देखा तथा समाज के नेताओं से मिलने का अवसर प्राप्त कर बडा आनन्द - आया। समाजोद्धार की चर्चा चलती थी। अधिवेशन में और भी त्यागीव्रती थे। कानपुर से बनारस और वहाँ से शिखरजी आ गये। इस बार तीन वन्दना की। फिर गिरिडीह आये। तेरापंथी धर्मशाला में ठहर कर हजारीलाल किशोरी - लाल के यहां आहार किया। वहाँ से कलकत्ता चले गये। वहाँ बेलगच्छिया में ठहरे। छह दिन तक ठहर कर शान्तिपूर्वक मंदिरों के दर्शन किये यहाँ पर पन्ना लाल बैनाडा ने 15) रु. टिकट खर्च के लिये दिये फिर चम्पापुरी आकर सिद्ध क्षेत्र के दर्शन किये। वहां से नवादा होकर गौतमस्वामी के दर्शन करते हुए पावापुरी आ गये। यहाँ तीन दिन तक ठहरे फिर कुण्डलपुर के LF दर्शन करके रेल द्वारा तीर्थ की वन्दना के लिये राजगृही पहुँचे। तीन दिन LE तक पंच पहाड़ी की वन्दना की । वहाँ से बनारस आये और श्रेयान्सपुरी चन्द्रपुरी 17 के दर्शन किये। फिर अयोध्या जाकर वहाँ की वन्दना की। वे जहाँ भी जाते - जैन बन्धु टिकट की व्यवस्था कर देते। इसके पश्चात् कानपुर, झांसी होते हुए सोनागिर पहुँचे। वहाँ की आनन्दपूर्वक वन्दना की। वहाँ से मथुरा आ गये तथा चौरासी में जम्बूस्वामी के दर्शन किये। इसके बाद आप जयपुर चले आये। वहां कितने ही मंदिरों के दर्शन किये। फिर वहाँ से अजमेर आ गये। यहाँ तीन दिन तक ठहरे। यहाँ पर 108 मुनि चन्द्र सागरजी एवं ऐलक पन्नालाल जी के पुनः दर्शन हो गये। अजमेर से चार रुपये का टिकट लेकर TE अहमदाबाद चले गये और प्रथानी औरान आदि विभिन्न गाँवों से ईडर आ गये। वहाँ से केशरियानाथ गये और वहाँ से फिर ईडर आ गये। ईडर में आकर चातुर्मास किया । दशलक्षण पर्व में दस दिन के उपवास किये। चातुर्मास समाप्ति के पश्चात अहमदाबाद आ गये। वहाँ कांग्रेस अधिवेशन चल रहा था। देशोद्धार एवं आजादी की चर्चा में सारे नगर का वातावरण देखा। महात्मा गांधी को पास से देखा। जिनके पास असहयोग आन्दोलन का भार था। वहाँ - 191 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 154545454545454545454LLELLET
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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