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________________ 1516545795545454545454545454545454545 उनके त्यागमय जीवन की प्रथम यात्रा थी। जिसमे भी केवलदास को देखा वही आश्चर्यचकित हो गया और बालक के साहस की प्रशंसा करने लगे। अब तक 18 रुपये खर्च हो चुके थे और केवल 3 रुपये बचे थे। आगे की यात्रा ब्र. केवलदास शिखरजी से पावापुरी के लिए रवाना हुए। वहाँ कोठी से 211) रुपया और लेकर राजगृही चले गये। वहाँ की यात्रा करके बनारस के लिये रवाना हो गये। और वहीं पर स्थित स्याद्वाद महाविद्यालय में आकर ठहर गये। उनके पास मात्र एक पैसा बचा था लेकिन वे जरा भी विचलित नहीं हुए। वे स्याद्वाद महाविद्यालय में 6 दिन तक रहे। आपकी त्यागमयी वृत्ति को देखकर विद्यालय के मंत्री ने एक ओढने के लिए घुस्सा एवं बम्बई तक का 15) रुपया देकर टिकट कटवा दिया। वहीं पर आपको स्वप्न में एक सोलह वर्षीय कन्या ने कहा कि यह पुस्तक ले लो तुम्हें बहुत विद्या आवेगी। बनारस से केवलदास बम्बई आ गये और सेठ मणिकचन्द पानाचन्द जी, प्रेमचन्द मोतीचन्द जी के बंगले में ठहर गये। बम्बई में वे केवल तीन । दिन रहे और वहाँ से वे अहमदाबाद आ गये। वहां उन्होंने 2) रुपये की एक पछेवडी (दुपट्टा) देख लिया। शिखरजी जी में आपने यात्रा को छोड़कर - अधिक से अधिक 5) रुपया रखने का नियम लिया था। अहमदाबाद से वे ईडर आये और वहाँ पर पहाड़ पर स्थिति मंदिर के दर्शन किये। 17 छाणी ग्राम में स्वागत ईडर से ब्र. केवलदास ने गोरेला आकर चिन्तामणि श्री पार्श्वनाथ के दर्शन IE किये। वहाँ से बीकानेर में अपने बहनोई के पास आ गये। यहाँ वे 4 दिन मंदिर में ही ठहरे। इसके पश्चात् पानाचन्द उनको साथ लेकर छाणी ग्राम TE गये। सर्व प्रथम वे गांव के बाहर महावीर स्वामी के मंदिर में ही ठहर गये। पानाचन्द जी ने गांव में जाकर समाज से कहा कि 'केवलदास शिखरजी से सातवीं प्रतिमा के धारी ब्रह्मचारी होकर आये हैं। समाचार सुनकर गांववालों को बड़ी प्रसन्नता हुई और उनको गाजे बाजे के साथ गांव के मंदिर में ले - गये। सभी को केवलदास को ब्र. केवलदास के रूप में देखकर अतीव प्रसन्नता हुई। अब ब्रह्मचारी केवलदास के प्रति गांव वालों की श्रद्धा बढ़ गयी। सर्व 187 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 54645456457456457457554145746746756745
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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