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________________ फफफफफ !!!!!!!!!!! रूप में, जैन-विद्या के राष्ट्रीय स्तर के ये दो सर्वोत्तम संस्थान, भारत की दिगम्बर जैन समाज को, पूज्य वर्णीजी इस शताब्दी के प्रथम दशक में ही प्रदान कर चुके थे। वणीर्जी का जीवन भी बहुत घटना प्रधान रहा। उनके जीवन-प्रसंग भी जन-सामान्य के लिये बहुत प्रेरक और आदर्श जैसे रहे। इसलिये कुछ शिष्यों के अनुरोध पर उन्होंने स्वयं अपना जीवन-वृत्त विस्तार से, आत्म कथ्य के रूप में लिपिबद्ध कर दिया। उनकी यह आत्म-कथा "मेरी जीवनगाथा" के रूप में विख्यात है। उसकी अनेक आवृत्तियाँ हो चुकी हैं और एक संक्षिप्त-संस्करण भी प्रकाशित हो चुका है। आचार्य शान्तिसागर जी छाणी : एक प्रभावक आचार्य पूज्य आचार्य श्री शान्तिसागरजी छाणी महाराज का व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों ही विस्मृति के अंधकार में लगभग खो गये थे। प्रसन्नता की बात है कि उनकी शिष्य परम्परा के गुरु भक्त साधक पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागरजी मुनिराज ने छाणी महाराज की जन्म शताब्दी के अवसर पर उनके प्रेरक जीवन-वृत्त को उद्घाटित करके पुनः प्रकाश में लाने का शुभ-संकल्प किया। यह एक साधक संत की अपने गुरु के प्रति, और अपने पूर्वज आचार्यों के प्रति निष्ठाभरी कृतज्ञता का ही प्रतीक है। सन् 1990 में शाहपुर (मुजफ्फरनगर, उत्तरप्रदेश) के चातुर्मास में वहाँ की समाज के कुछ संवेदनशील युवकों ने उपाध्यायश्री के संकल्प को साकार करने का प्रति-संकल्प किया। फिर इस दिशा में जो प्रयास प्रारम्भ किये गये, उनके फलस्वरूप "प्रशान्तमूर्ति आचार्य 108 श्री शान्तिसागर महाराज छाणी स्मृति ग्रन्थ की रूपरेखा तैयार की गई, ग्रन्थ की पूर्वपीठिका के रूप में एक सुन्दर स्मारिका प्रकाशित की गई, जिसमें आचार्य महाराज से सम्बन्धित प्रायः सारी उपलब्ध सामग्री को रेखांकित कर दिया गया। श्री तीर्थ क्षेत्र ऋषभदेव के पं. महेन्द्रकुमार "महेश" शास्त्री ने आचार्यश्री का एक जीवन-परिचय लिखा जो इस स्मारिका में प्रकाशित है। नवम्बर 91 में गया चातुर्मास के समय उपाध्याय श्री ज्ञानसागरजी के सान्निध्य में उत्सव - पूर्वक इस स्मारिका का विमोचन भी सम्पन्न चुका 1 इसी पृष्ठभूमि में आचार्य शान्तिसागरजी छाणी महाराज की एक 126 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति ग्रन्थ !!!!!! फफफफफफफफफफ
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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