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________________ 4545454545454545454545454545455455 अनवरत त्याग, तपस्या और उत्कृष्ट साधना का जीवन्त निदर्शन रहा है।' उनकी स्वतः स्फूर्त साधना-प्रवृत्ति साधकों का सम्बल है। अन्तरंग के उत्कष्ट वैराग्य की भावना से युक्त मनीषी ही स्वयं ही दीक्षा-शिक्षा का अधिकारी होता 1 है। ऐसे सिंहवृत्ति वाले निर्ग्रन्थ मुनिराजों के लिए नीतिकार ने कहा : नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते मृगैः।। विक्रमार्जित सत्त्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता।। आचार्य श्री की साधना सिंहवृत्ति जैसी रही। ब्रह्मचर्य व्रत, क्षुल्लक दीक्षा, मुनि दीक्षा ये सब उनकी आत्म सम्बल की स्वतः प्रेरित शक्ति रही है। एकलव्य के द्रोणाचार्य की प्रतिमा के सदृश जिनेन्द्र प्रतिमा ही आचार्य श्री के साधना मार्ग की सम्बल-रही। - यह निश्चित है कि उत्तर भारत में विलुप्त मुनि-परम्परा को पुनर्जीवित करके वर्तमान शताब्दी में प्रथम मुनिराज बनने का श्रेय आपको ही है। अपने 20 वर्ष के निर्ग्रन्थ रूप में आचार्य श्री ने उत्तर भारत में विभिन्न ग्रामों एवं नगरों में पाद-विहार करके जन-सामान्य को सन्मार्ग की ओर उन्मुख किया। अपनी प्रभावी त्याग-तपस्या से एवं उपदेशों से जैनेतर समुदाय को अहिंसक जीवन-यापन का संदेश दिया। अनेक सामाजिक कुरीतियों एवं कुप्रथाओं का निवारण किया। ऐसे परमवीतरागी, मोक्ष-मार्गी आचार्य श्री की पावन स्मृति -1 में उनके पावन व्यक्तित्व एवं कृतित्व का परिचायक "ग्रन्थ" सभी का सम्बल बनें। उन पावन महान आत्मा को शतशः नमन!!! + जयपुर डॉ. प्रेमचन्द रावंका शत-शत वन्दन तेरह पंथ परम्परा में आचार्य शान्तिसागर जी छाणी का वही स्थान है, जो बीस पंथ परम्परा में आचार्य शान्तिसागर जी महाराज दक्षिण वालों का है। दोनों की परम्परा में अनेकानेक प्रसिद्ध आचार्य पदधारी व साधु संत हुए हैं। पंथ परम्परा तो उपासना पद्धति की भिन्नता के कारण हुई है सैद्धान्तिक दृष्टि से दोनों में कोई अन्तर नहीं। दोनों ही आचार्यों ने समाज को त्यागी, व्रती बहुसंख्या में दिये, जिनके परिणामस्वरूप आज समाज में 卐प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ । 86 1545756144145454545454554674575
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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