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________________ 9959595955959559595595959) श्रद्धाञ्जलि जिनका भौतिक शरीर आज हमारे बीच नहीं है, फिर भी उनकी पवित्र वाणी से निःसत यम, नियम, व्रत, संयम का जनहितकारी उपदेश जन-जन के मन में दीपशिखा की भाँति बराबर प्रवाहित हो रहा है, उनकी शिष्य परम्परा के आचार्य, मुनिगण आज सर्वत्र विहार कर तत्वोपदेश देकर कल्याण कर रहे हैं, ऐसे पतितोद्वारक आचार्य शान्तिसागर जी छाणी के पुनीत चरणों में मेरी श्रद्धांजलि समर्पित है। असीराजपुर डॉ.शरद चन्द शास्त्री विषय कषायों से रहित अन्तरंग-बहिरंग विषय कषायों की वासना व परिग्रह से रहित, ज्ञान, - ध्यान, तपस्या में संलग्न रहने वाले परम तपस्वी 108 आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज छाणी के पावन चरणों में श्रद्धा सुमन सादर समर्पित हैं। खरगौन शिखरचन्द जैन तारणतारण त्रिकाल वन्दनीय, तरण तारण, परम दिगम्बर, तपोनिधि आचार्य शान्तिसागर जी छाणी के श्री चरणों में अनन्तबार नमन पूर्वक श्रद्धाञ्जलि सभक्ति अर्पित है। शिवपुरी डॉ. अविनाश सिंघई प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 82 $$$$$$$$$$$$$$$
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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