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________________ गरिमापूर्ण जीवन परमपूज्य आचार्य शान्तिसागर जी छाणी स्मृति ग्रन्थ प्रकाशन का पत्र प्राप्त कर अत्यधिक प्रसन्नता हई। आचार्य श्री परम दिगम्बराचार्य थे। स्वयं दीक्षित थे और देश के विभिन्न भागों में विहार करके समाज में अभतपर्व जागृति पैदा की थी। स्त्री शिक्षा की ओर उनका विशेष ध्यान था। उनका सम्पूर्ण जीवन आदर्श एवं गरिमापूर्ण था। वे जैन संस्कृति के प्रतीक थे। मैं अपने सम्पूर्ण मनोभावों से उनके प्रति सादर श्रद्धाञ्जलि समर्पित करती हुई स्मृति ग्रन्थ प्रकाशन की सफलता चाहती हूँ। जयपुर डॉ.कमला गर्ग स्त्री-जाति के महान् उद्धारक आचार्य शान्तिसागर जी छाणी महाराज सामाजिक सुधारों में बहुत रुचि लेते थे और समाज में व्याप्त बुराईयों के उन्मूलन के लिये अपने प्रवचनों में खूब चर्चा किया करते थे। उन्होंने बाल विवाह, मृत्यु के पश्चात् महिलाओं द्वारा छाती कूटने की प्रथा, मृत्यु भोज जैसे अनेक सामाजिक बुराईयों को जड़ मूल से उखाड़ने में बहुत योग दिया। उनका पावन जीवन अत्यधिक शिक्षाप्रद एवं प्रेरणादायक है। ऐसे आचार्यों का स्मृति ग्रन्थ प्रकाशन एक ऐसा शुभ कार्य है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जावे. वही कम है। मेरे उनके पावन चरणों में हार्दिक श्रद्धा समन अर्पित हैं। महावीर नगर, जयपुर शशिकला जैन, एम.ए. - 69 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 45454545454545454545454545454555
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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