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________________ 4545454545454545454545454545454545 4 शान्तिसागर छाणी जी के प्रवचनों की पुस्तक थी, जो उन्होंने मुझे पढ़ने केज लिये दी थी। मैं लगभग एक मास तक महाराज श्री के पास रहा। उनके प्रवचनों की छाप आज भी मेरे हृदय पर अंकित है। स्व. आचार्य श्री शान्तिसागर जी (छाणी) की "प्रवचन" नामक पुस्तक का एक उदाहरण आज भी विद्यमान है जो निम्न प्रकार है : "प्रत्येक वस्तु अनन्त धर्मात्मक होती है। परस्पर विरुद्ध प्रतीत होने वाले धर्मों का एक ही वस्तु में होना अनेकान्त है और उस वस्तु स्वरूप को । समझने की शैली स्यादवाद है। उदाहरण की दृष्टि से एक ही वस्तु में अनेक धर्मादि किस प्रकार प्रतिबिम्बित होते हैं। जैसे :-रामचन्द्र जी राजा दशरथ के पुत्र हैं, सीता की अपेक्षा पति हैं, तथा लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की अपेक्षा भाई हैं। रामचन्द्र जी के सम्बन्ध में पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिये हमें इन अपेक्षाओं को समझना होगा और इसी अपेक्षाकृत कथन को स्याद्वाद कहते स्यावाद शब्द स्यात्+वाद अर्थात् स्यात् का अर्थ है कथंचित् या अपेक्षाकृत और वाद का अर्थ है कथन करने की शैली अर्थात् अपेक्षाकृत वाक्य या कथन को स्याद्वाद कहते हैं। एकान्त पक्ष से रामचन्द्र जी को पति ही मानें या पुत्र ही मानें तो बन्धुओं? विवाद की स्थिति खड़ी हो जायेगी। (- आचार्य शान्तिसागर छाणी जी के "प्रवचन" से साभार) पूज्य आचार्य श्री की वाणी अत्यन्त ही मृदु थी। वे जिस समय बोलते थे तो सारी सभा मंत्रमुग्ध की तरह उनकी तरफ आकर्षित हो जाती थी, चाहे प्रश्न कितना भी जटिल हो, वे विषय को समझकर बहुत ही सरलता से उसको समझा देते थे। जिस तरह कोयल अपनी वाणी से समस्त प्राणियों का मन वश में कर लेती है, उसी तरह आचार्य श्री की वाणी में मधरता थी। आचार्य श्री सिंह के समान निर्भीक थे। बड़वानी में अन्य लोगों के द्वार मोटर आदि से महान उपसर्ग होने पर भी आप ध्यान में लीन रहे किंचित । भी विचलित नहीं हुए। मोटर आदि का उपसर्ग असफल रहा आप आत्मजयी:हुए। आपके गुणों का वर्णन करना सूर्य को दीपक दिखाना है। इस समय 2ी में भी इस देश तथा समाज को आज जैसे त्यागी, तत्वज्ञ तथा उत्कृष्ट 55 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ EET नानाLETERE
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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