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________________ जीव तत्व। [११३ (१०) लेश्या- छ हो होसक्ती हैं। एक दफे एक होगी। (११) भव्य--भव्य, अभव्य दोमेंसे एक होमक्ता है। (१२) सम्यक्त-मिथ्यात्व एक प्रकारका शृद्धान है। यदि कभी सम्यक्त होजावे तो क्षायिकके सिवाय पांचों मार्गणाओंमें एक समयमें एक होगी, तब ज्ञान मति, श्रुत, अवधि, कुअवधि चार भी. संभव है। (१३) सनी-सैनी मनसहित है । (१४ आहारक-आहारक हैं क्योंकि पुद्गलको समय२ ग्रहण करता है। शिष्य-आपने बहुत उपयोगी बात बताई । अच्छा बताईये कुत्तेके गुणस्थान कितने हैं ? शिक्षक-कुत्ता पशुगतिमे है । पशुओंमें पहले पाच गुणस्थान होसक्तं हे । गुणस्थान एक समयमें एक ही होगा । इस कुत्तेके तो पहला गुणस्थान है। अच्छा, अब आप वृक्षकी चौदह मार्गणाएं कह जायें। शिष्य -वृक्षकी चौदह मार्गणाएं नीचे प्रकार होंगी--- (१) गति-तिर्यच गति । (२' इन्द्रिय-एकेन्द्रि। (३) काय-वनस्पति काय! (४) योग-काययोग एक । (५) वेद-नपुंसक वेद । (६) कपाय-चारों कपाय (७) ज्ञान-कुमति, कुश्रुत :
SR No.010574
Book TitleVidyarthi Jain Dharm Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherShitalprasad
Publication Year
Total Pages317
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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