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________________ ..[७] इस धर्मशालाके जिन मंदिरमें नित्य शास्त्र सभा होती है । इसी धर्मशालामें जैन पाठशाला व जैन कन्याशाला चलती है। सर्वोपयोगी वाचनालयको भी स्थान दिया गया है, जो जैन नवयुवक मण्डल भेलसा द्वारा चलता है। उक्त सेठजी वास्तवमें दानवीर है । यद्यपि आपकी आयु अभी ४० वर्षकी ही है तौभी आपने अपने जीवनमें बहुत कुछ द्रव्य उपयोगी कामोंमें दान किया है । तथा यह आशा है कि आप सदैव अपनी सम्पत्तिका सदुपयोग इसी भांति दान धर्ममें करते रहेंगे। आपके दानकी एक लंबी सूची है। हम यहा केवल उन्हीं रकमोंको प्रगट करते है जो १००) से ऊपर है११०००) भा० दि० जैन परिषदके इटारसी अधिवेशनके समय वीर सं० २४६० में दि. जैन साहित्यके प्रकाशनार्थ श्रीयुत होरालालजी एम० ए० एल० एल० बी० प्रोफेसर एडवर्ड कालेज अमरावतीके उपदेशसे व अधिवेशनके सभापति बाबु जमनाप्रसादजी सब जज अमरावतीकी प्रेरणासे दिये । इस द्रव्यसे उक्त प्रोफेसर साहबने श्री जयधवलाके प्रकाशनका कार्य प्रारम्भ कर दिया है । इसके उपलक्षमें जैन समाजने आपको उसी समय श्रीमंत सेठकी उपाधि प्रदान की। व वाणीभूषण पं० तुलसीरामनी काव्यतीर्थने आपको पगडी बांधी व नगरमें आपका खूब स्वागत हुआ। ५०००१) जैन हाईस्कूल भेलसाके लिये उक्त परिषदके भेलसा अधिवेशनके समय वी० सं० २४६१ में प्रदान,
SR No.010574
Book TitleVidyarthi Jain Dharm Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherShitalprasad
Publication Year
Total Pages317
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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