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चौषी० , पत्ता छंद-श्रेयांस कृपाला दीनदयाला भव दुःख टाला गुण माला। हम नित प्रति ध्यावे -पूजन . मंगल गावें शिव सुख पावें दर हाला॥ १३ ।। . संग्रह • ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंकल्याण प्राप्ताय अनर्ध ५०७
.. . पद प्राप्तये महाघ निर्वपामीति स्वाहा । "अथ आशीर्वादः । अडिल-श्रेयनाथ जिन तनी सरस पूजा करें । जे बाचें यह पाठ हरष उर में धरै॥ तिन घर ऋद्धि अपार सकल मंगल रलैं। अनुक्रम ते शिव जाय सर्व अघको दलें ॥१४॥
___ इत्याशीर्वादः । इति श्रीश्रेयांसनाथ जिन पूजा सम्पूर्णा ।। ११ ।।