SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 63
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौबी. पूजन प्राप्ताय वग्रह .. . . . - सुधारा ॥ शीतल जिनके युग चरणाम्बुज पूजू मन वचकाई । रोग शोक दुःख दारिद नाशैं भव आताप मिटाई। ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप,ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अनर्घ पद प्राप्तये अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ! अथ पंचकल्याणक । सोरठा। . गर्भ-आरण स्वर्ग विहाय, आठ कृष्ण सुचैत को। गर्भ सुनंदा आय, धनद रतन बरखाइयो । डों ह्रीं श्रीशीतलनाथ जिनेन्द्राय चैत्र कृष्णअष्टमी गर्भ कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपानीति स्वाहा। जन्म-माघ कृष्ण तिथि जान, चक्रेश्वर संज्ञा कही । जन्मे युतत्रय ज्ञान, शीतल शीतल करन को। ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथ जिनेन्द्राय माघ कृष्ण द्वादशी जन्म कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीतिस्वाहा . तप-जन्म सुदिन तिथि आय, योग धरो बन जाय के । मन पर्यय उपजाय, ध्यायो आतम जिन तवै॥ डों ह्रीं श्रीशीतलनाथ जिनेंद्राय माघ कृष्ण द्वादशी तप कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वामीति स्वाहा ज्ञान-केवल लब्धि उपाय, पौष कृष्ण चौदस दिना । समवसरन सुख दाय,धनद देव रचना रचो॥ ___ों ह्रीं श्रीशीतलनाथ जिनेन्द्राय पौष कृष्ण चतुर्दशी ज्ञान कल्याण प्राप्ताय अर्थनिर्वपामोतिस्वहा। .. निर्वाण-मोक्ष गये जिनराय, सम्मेवाचल शीसते । हम पूजें मन लाय, अष्टमिआश्विन शुकल को ॥ गेह्रीं श्रीशीतलनाथजिनेंद्राय आश्विन शुक्लाष्टमी मोक्ष कल्याण प्रप्ताय अनिर्वयामीति स्वाहा।
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy