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________________ बोबी पूजन संग्रह ४७६ ताप नसात हैं। ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अनर्घ पद प्राप्तये अर्घ निवपामीति स्वाहा ॥ अथ पंच कल्याणक। (विजयानी सेठ की चाल) गर्भ-अधियारी जी षष्ठी माघ सुहाइयो, तजग्रीवसुजी गर्भ विषे जिन आइयो। माता तुम जी नाम . · सुसीमा जानके,हम पूजेंजो भाव भक्ति उर आन के । उौं ह्रीं श्रीपद्मप्रभ जिनेंद्रीय माघकृष्णषष्ठी - गर्भ कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥ जन्म-असित कातिक जी पत्य सुतेरसजाइयो,एरावत जी सजके इंद्र जुलाइयो।गिरिमेरु सु जी न्हवन । कियो मन लाय के, हम पूजें जी चरणन अर्घ चढायके । ॐ ह्रीं श्रीपमप्रभ जिनेंद्राय कार्तिक कृष्ण त्रियोदशी जन्म कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा॥ तप-तपधारो जी दर्द्धर श्रीधरने जवे, धर षष्ठो जी ध्यान विषे लागे तबै । अंधिया तेरस सोहनी,हम पूजेजी शिवनगरी के तुम धनी ॥ डों ही त्रयोदशी तपः कल्याण प्राप्ताय अर्घ . ज्ञान-शुभ सोहेजीकान
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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