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________________ चौबो पूजन संग्रह भव्य कंज को रवि विशाल ॥ इत्यादिक थुति कीनो सुरेश । फिर तुम विहरे भारज सुदेश ॥ ८॥ गण धर सतरै चव ज्ञान पूर । ऋषि गण तहां बीस हजार सूर ।। अजया पैंतालिस सहस संग । इक लाख सरावक व्रत अभंग ॥ ९॥ श्रावकनी लख त्रय, शील वान। सम्यक्त्व सहित किरपा निधान ॥ चवसंग सहित भवि वृन्दतार। आये सम्मेदाचल पहार ॥ १० ॥ इक मास रही तब शेष आय । चव कर्म अघाती तब षिपाय ॥ इक समें माहि निरवान थान, पायो तुम आवा गमन हान ॥ ११॥इक्ष्वाक वंश कीनो उजाल । सो नमि जिनवर' मम दुःख टाल । बखता रतना पै हो दयाल। दीजे शिव संपति कर निहाल ॥ १२ ॥ . घत्ताछन्द-जय जय नमि दाता सब जगत्राता कर्म जुधाता मोक्ष वरी। सोई गुण धारी टेर हमारी मति अनुसारी अर्ज करी ॥ १३॥ ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अनर्घ पद प्राप्तये महाघ निर्वामीति स्वाहा। अथ आशीर्वादः । सोरठा-जो पूजे नमि देव, अष्ट द्रव्य शुभ लायके। इंद्रादिक तिन सेव, | करें सुनिश दिन आय के ॥ १४॥ इत्याशीर्वादः । इति श्रीनमिनाथजिन पूजा संपूर्णा ॥ २१ ॥
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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