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________________ चौबी० || दीप-जय दीपक मणिमय जोति प्रकाशे । जय ध्यावत ही मोह अंध विनाशे ॥ सो प्रभु हम ध्यावें । जय | पूजन | पूजत इन्द्र धनेन्द्र जु आवें । जय तीर्थकर चक्रेश्वर स्वामी । जय कामदेव अर जिन शिव संग्रह || गामी ॥ जी प्रभु हम ध्यावें ॥ ों ह्रीं श्रीअरनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण ., . पंचकल्याण प्राप्ताय मोहांधकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा। .. धूप-जय संग धनंजय धूप दहीजे। जय खेवत अष्ट करम सब छीजे ॥ सो प्रभु हम ध्यावें ॥ जय | पूजत. इन्द्र धर्मेन्द्र जु आवें जय तीर्थंकर चक्रेश्वर स्वामी। जय कामदेव अर जिन शिव गामी जी प्रभु हमध्यावें ॥ 0 ह्रीं श्रीअरनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण .... प्राप्ताय अष्ट कर्म दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा। . . फल-जय आंव कपित्थ लौंग भर थारी । जय पूजत शिव फल पाऊं भारी॥ सो प्रभु हम ध्यावें॥ जय पूजत इन्द्र धनेंद्रजु आवें जय तीर्थंकर चक्रेश्वर स्वामी । जय कामदेव अर जिन शिव गामी॥ जी प्रभु हम ध्यावें । डों ह्रीं श्रीअरनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय मोक्षफल प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा। अर्घ-जय जलपलादि बसु द्रव्य समारे । जय अर्घ वनाय चरण तले धारे॥ सो प्रभु हम ध्यावें ॥ जय पूजत इंद्र धनेन्द्र जु आवे॥ जय तीर्थंकर चक्रेश्वर स्वामी । जय कामदेव अर जिन शिव गामी॥ - -
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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