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- पूजन ... 'संग्रह
चौबी० तप-कारण लख वैराग उपाय, रतन जडित शिविका हरि लाय ॥ कानन में तप दुर्द्धर धार, जन्म
तनो दिन है अविकार ॥ ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथ जिनेन्द्राय माघ शुक्ल चतुर्थी तपःकल्याण प्राप्ताय
. अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। . ५१७
ज्ञान-चार घातिया कर्म निवार, केवल जोत जगी सुख कार॥माघ शुक्ल षष्ठी दिन जोय, हम पद
पूजे हरषित होय ॥ ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथ जिनेन्द्राय माघ शुक्ल षष्ठी ज्ञान कल्याण प्राप्ताय ...: अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। निर्वाण-भ्रमर षाढ अष्टमके दिना। सम्मेदाचल तें शिव जिना ॥ पायो विमल विमल पद श्वेत । हम ||
पद पूजें हरष समेत । ॐह्रीं श्रीविमलनाथ जिनेन्द्राय आषाढकृष्ण अष्टमीमोक्ष कल्याण प्राप्ताय ..अर्घ निर्वपामीति स्वाहा।
_ अथ जयमाला। दोहा।। महाअर्घ-धनुष साठ तन सोहनो, तप्त हेम सम जान । दीजे बुद्धि दयालमम,वरणू पंचकल्याण ॥ छन्द कामिनी मोहन-नाथ विमलेश पद विमल शोभा लहै । इंद्र नागेंद्र नर सेव तेरी गहै॥ जान शुभ
जेठ की कृष्ण दशमी दिना । स्वर्ग सहस्रार को त्याग के हे जिना ॥२॥ आर्या छन्द-मति श्रुति अवधि सुलाये, आन विराजे सु कूष माता की। धनद रतन बरषाये, इंद्रादिक ||
करें सेव त्राता की ॥३॥