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________________ चौबी. पूजन संग्रह ५७७ - २४ अथश्रीवर्द्धमानजिन पूजा लिख्यते। _. बखतावरसिंहकृत । अडिल स्थापना-सिद्धारथ है तात मात त्रिशिला सही, अच्युत तें चय आय नगर कुंडिन कही। .. हाथ सात परमान अंक है मृगपती, महावीर जिनदेव तिष्ठ करुणा पती॥१॥ ॐ ह्रीं श्रीमहाबार जिनेंद्र अत्रावतराऽवतर संवौषट् आह्वाननम् । ॐ ह्रीं श्री महाबीर जिनेंद्र अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम् । ॐ ह्रीं श्रीमहावीर जिनेंद्र अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधी करणम् ॥ अथ अष्टक । छंद त्रिभंगी। जल-क्षीरोदधिवारं निर्मल सारं गंध अपारं भर धारं। अति ही शुचिकारं तृषा निवारं तुम पद ढारं दुःख हारं । श्रीवीर कुमारं शिव दातारं पाप निवारं सुख कारं । सुंदर आकारं ज्ञान भंडारं जग - हितकारं जित मारं॥.रों ह्रीं श्री महाबीर जिनेंद्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय जन्म मृत्यु जरा रोग विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा। - -
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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