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________________ संग्रह . मक्रेश्वर षटचक्रेश्वर विघन हनेश्वर दुख टालं। ॐ ह्रीं श्रीकुंथुनाथ जिनेंद्राय गर्भ, जन्म, तप, चोबी० ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय संसारातापरोग विनाशनायचन्दनं निर्वपामीति स्वाहा ॥ . पूजन .. ' 'अक्षत-अक्षत अनियारे प्राशुक धारे पुंज समारे तुम आगे, अक्षय पद दीजे बिलम न कीजे निज लख लीजे सुख जागे। श्री कुंथुदयालं जगरिछपालं हन भव जालं गुणमालं, तेरम मकेश्वर षट् .. चक्रेश्वर विघन हनेश्वर दुख टालं ।। ॐ ह्रीं श्री कुंथुनाथ जिनेंद्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंच कल्याण प्राप्ताय अक्षय पद प्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा॥ पुष्प-वर कुसम सुवासं अमल बिकाशं षट् पद रासं गुंजकरा, भर कंचन थारी तुम ढिग धारी काम निवारी सौख्य करा । श्रीकुंथुदयालं जग रिछपालं हन भव जालं गुणमालं, तेरम मकेश्वर षट् चक्रेश्वर विघन हनेश्वर दुख टालं ॥ ॐ ह्रीं श्री कुंथुनाथ जिनेंद्राय गर्भ जन्म,तप, ज्ञान, निर्वाण पंच कल्याण प्राप्ताय कामवाण विनाशनाय पुष्पं निवपामीति स्वाहा॥ 'नैवेद्य-पकवान सुकीने तुरत नवीने सित रस भीने मिष्ट महा, तुम पद तल धारे नेवज सारे क्षुधा . निवारे शर्म लहा। श्री कुंथुदयालं जग रिछपालं हन भव जालं गुण मालं। तेरम मकेश्वर षट् चक्रेश्वर विघन हनेश्वर दुख टालं । ॐ ह्रीं श्री कुंथुनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान निर्वाण पंच कल्याण प्राप्ताय क्षुधा रोग विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा ॥ दीप-दीपक उजियारे तम क्षयं कारे जोय समारे स्वर्ण मई, मोह अंधविनाशी निज परकाशी हम घट
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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